tag:blogger.com,1999:blog-5180892187599976558.post4513976417282431976..comments2023-11-03T15:45:47.907+05:30Comments on श्याम स्मृति..The world of my thoughts... श्याम गुप्त का चिट्ठा..: ये अच्छी बात नहीं ..डा श्याम गुप्त की ग़ज़ल.... shyam guptahttp://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-5180892187599976558.post-80495773640600367832013-12-31T12:40:09.390+05:302013-12-31T12:40:09.390+05:30अवनीश जी....यह ग़ज़ल तो स्पष्टतः ही अभिधात्मक शैली म...अवनीश जी....यह ग़ज़ल तो स्पष्टतः ही अभिधात्मक शैली में है आपको कहाँ व्यंजना-लक्षणा या दुरूह शब्द-भाव व दूरस्थ-कथ्य लगे.. स्पष्ट करें ....यह भाषा ही तो जन-सामान्यकी भाषा है .. shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5180892187599976558.post-86160322158430924482013-12-30T08:47:16.325+05:302013-12-30T08:47:16.325+05:30भाव व कथ्य की अस्पष्टता AAPKI रचनाओं का मूल शब्द-भ...भाव व कथ्य की अस्पष्टता AAPKI रचनाओं का मूल शब्द-भाव है ... इस प्रकार के रचनाओं ने ही जन-सामान्य को कविता से दूर किया .... ये जन सामान्य की बातें तो कहती हैं परन्तु उसी जन सामान्य की समझ से परे होती हैं ....पहेलियों की भांति ...आजा के इब्र चाल के जमाने में पहेलियाँ बुझाने का समय किस के पास है ...इसे कवियों को ...कविताओं को ..प्रश्रय के कारण ...साहित्य हाशिए पर चलता गया....<br />---यदि कविता सीधे सीधे अभिधात्मक-भाव में होगी तो जन सामान्य की समझ में आये और उसे पढ़ा जाए...अवनीश सिंह चौहान / Abnish Singh Chauhanhttps://www.blogger.com/profile/05755723198541317113noreply@blogger.com