tag:blogger.com,1999:blog-5180892187599976558.post5088612869429965639..comments2023-11-03T15:45:47.907+05:30Comments on श्याम स्मृति..The world of my thoughts... श्याम गुप्त का चिट्ठा..: श्याम दोहा एकादश .....डा श्याम गुप्त.... shyam guptahttp://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-5180892187599976558.post-66461250724435071542011-07-09T23:04:36.031+05:302011-07-09T23:04:36.031+05:30धन्यवाद भ्रमर जी....धन्यवाद भ्रमर जी.... shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5180892187599976558.post-40896500323564903122011-07-09T16:23:06.733+05:302011-07-09T16:23:06.733+05:30प्रिय श्याम जी हार्दिक अभिवादन -बहुत ही सुन्दर-स...प्रिय श्याम जी हार्दिक अभिवादन -बहुत ही सुन्दर-सटीक दोहे -सुन्दर जज्बात -आप के सुविचार- लाजबाब प्रस्तुति -थप्पड़ मारता हुआ व्यंग्य -काश इन की चुन्धियाई आँखें खुलें !<br />कुछ अक्षर जो एक साथ चिपक जाते हैं कृपया उन्हें सम्हालें जैसे -<br />घबराये होरही<br />चाकरी होगया<br />स्वार्थ में होरहा<br /><br /><br />चाहे पद-पूजन करो, या साष्टांग प्रणाम |<br />काम तभी बन पायगा, चढे चढ़ावा दाम |5<br /><br />जन तो तंत्र में फंस गया,तंत्र हुआ परतंत्र |<br />चोर- लुटेरे लूटते, घूमें बने स्वतंत्र | 6<br /><br />आभार आप का <br />शुक्ल भ्रमर ५Surendra shukla" Bhramar"5https://www.blogger.com/profile/11124826694503822672noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5180892187599976558.post-81009559999300240092011-07-07T12:53:34.329+05:302011-07-07T12:53:34.329+05:30धन्यवाद आशुतोष .....वास्तव में लक्ष्मी तो सदा ही ह...धन्यवाद आशुतोष .....वास्तव में लक्ष्मी तो सदा ही हर काम का सेतु होती है...पर सिर्फ स्वार्थ चिंतन सहित चाकरी लक्ष्य हो बिना परमार्थ के तो वह अलक्ष्मी हो जाती है ....भ्रष्टाचार की जड़... shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5180892187599976558.post-2196286532932167052011-07-06T18:50:20.664+05:302011-07-06T18:50:20.664+05:30लक्ष्य चाकरी होगया, लक्ष्मी बनी है सेतु
बहुत ज्ञा...लक्ष्य चाकरी होगया, लक्ष्मी बनी है सेतु<br /><br />बहुत ज्ञानपूर्ण सत्य पंक्तियाँआशुतोष की कलमhttps://www.blogger.com/profile/05182428076588668769noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5180892187599976558.post-25981397687279780952011-07-06T10:40:20.901+05:302011-07-06T10:40:20.901+05:30धन्यवाद ..प्रवीण जी, बबली जी एवं राकेश जी...धन्यवाद ..प्रवीण जी, बबली जी एवं राकेश जी... shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5180892187599976558.post-47069061797918555422011-07-06T10:19:49.935+05:302011-07-06T10:19:49.935+05:30चाहे पद-पूजन करो, या साष्टांग प्रणाम |
काम तभी बन ...चाहे पद-पूजन करो, या साष्टांग प्रणाम |<br />काम तभी बन पायगा, चढे चढ़ावा दाम |<br />राजनीति की नीति में,कैसा अनुपम खेल |<br />ऊपर से दल विरोधी, अन्दर अन्दर मेल |<br />सटीक लिखा है आपने! सभी दोहे एक से बढ़कर एक है! लाजवाब प्रस्तुती!<br /><br />मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-<br />http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/Urmihttps://www.blogger.com/profile/11444733179920713322noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5180892187599976558.post-3432056363601355762011-07-06T09:23:05.717+05:302011-07-06T09:23:05.717+05:30वाह! वाह! श्याम जी वाह!
आपकी सुन्दर प्रस्तुति से ...वाह! वाह! श्याम जी वाह!<br />आपकी सुन्दर प्रस्तुति से बस निकली मन से आह<br /><br />भाँति भाँति के रूप धरि, खड़े मचाएं शोर |किसको जन अच्छा कहे, किसे कहें हम चोर |Rakesh Kumarhttps://www.blogger.com/profile/03472849635889430725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5180892187599976558.post-42656770757460087022011-07-06T08:57:15.196+05:302011-07-06T08:57:15.196+05:30सीधी सरल भाषा में बड़ी ही व्यवहारिक सीख।सीधी सरल भाषा में बड़ी ही व्यवहारिक सीख।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.com