tag:blogger.com,1999:blog-5180892187599976558.post6726036003015852051..comments2023-11-03T15:45:47.907+05:30Comments on श्याम स्मृति..The world of my thoughts... श्याम गुप्त का चिट्ठा..: डा श्याम गुप्त की गज़ल”” shyam guptahttp://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-5180892187599976558.post-35666396114068237692011-04-02T09:16:57.394+05:302011-04-02T09:16:57.394+05:30---धन्यवाद पान्डे जी व विशाल....सच कहा..अद्यात्म...---धन्यवाद पान्डे जी व विशाल....सच कहा..अद्यात्म...अधि आत्म..आत्म, आत्मा, स्व, स्वयं के चारों ओर परिव्रत्त....चाहे प्रेम हो,प्रेमिका हो,कोई हो, ईश्वर भक्ति..ग्यान हो सब हम स्वयं के बारे में ही कहते -करते हैं...और अपने आगे ही झुकते हैं.... shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5180892187599976558.post-6465244267128561772011-04-01T21:47:25.348+05:302011-04-01T21:47:25.348+05:30बेहतरीन गज़ल।बेहतरीन गज़ल।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5180892187599976558.post-18066486007242825502011-04-01T17:16:03.137+05:302011-04-01T17:16:03.137+05:30बहुत उम्दा ग़ज़ल कही है,डॉक्टर साहिब.
नगमे तुम्हा...बहुत उम्दा ग़ज़ल कही है,डॉक्टर साहिब.<br /><br />नगमे तुम्हारे प्यार के और सिज़दा रब के नाम का,<br />पढ़ता रहूँ झुकता रहूँ यही ज़िंदगी का मुकाम हो |<br /><br />चर्चे तेरे ज़लवों के हों और ज़लवा रब के नाम का,<br />सदके भी हों सज़दे भी हों यूही ज़िंदगी ये तमाम हो |<br /><br />या रब तेरी दुनिया में क्या एसा भी कोई तौर है,<br />पीता रहूँ , ज़न्नत मिले जब रुखसते मुकाम हो |<br /><br />है इब्तिदा , रुखसत के दिन ओठों पै तेरा नाम हो,<br />हाथ में कागज़-कलम स्याही से लिखा 'श्याम' हो |<br /><br />ये चार शेर तो बहुत ही खूब हैं.<br />दिल को छू गया आप के लिखने का अंदाज़. <br />सच में आप अध्यात्म पथ के पथिक हैं.<br />आपकी कलम को शुभ कामनाएं.विशालhttps://www.blogger.com/profile/06351646493594437643noreply@blogger.com