tag:blogger.com,1999:blog-5180892187599976558.post7651019056146605781..comments2023-11-03T15:45:47.907+05:30Comments on श्याम स्मृति..The world of my thoughts... श्याम गुप्त का चिट्ठा..: अगीत साहित्य दर्पण ..क्रमश shyam guptahttp://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-5180892187599976558.post-11695850177634668952012-09-15T18:32:27.753+05:302012-09-15T18:32:27.753+05:30"शासन ने देश को स्वाभिमान विहीन कर दिया है .य..."शासन ने देश को स्वाभिमान विहीन कर दिया है .यह बात व्यक्ति के अपने दर्द की बात है व्यभि चारी मंत्री को उसे माननीय कहना पड़ता है..."<br /><br />---शासन तो प्रजातंत्र में जनता के हाथ में है.. अपने लालच में वह स्वयं स्वाभिमान विहीन है... <br />---औपचारिकतावश कहते समय आप मंत्री नाम के व्यक्ति को माननीय नहीं कहते अपितु मंत्री संस्था को, जो देश का गौरवयुक्त पद है, माननीय कहा जाता है.... इसमें कोई अनुचित बात नहीं है...यह मर्यादा है ...<br />---- ६५ सालों में यह सब नेताओं ने नहीं तोड़ा अपितु आपकी अनंत आकांक्षाओं , पाश्चात्य नक़ल की आकांक्षा ...तेजी से अमीर बनाने की आकांक्षा ...ने व्यक्ति मात्र को तोड़ा-मरोड़ा है ..और ये नेता भी व्यक्ति ही हैं....<br />----यह सब पर उपदेश ..वाली बात है ... shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5180892187599976558.post-60072709851854526722012-09-15T18:23:31.244+05:302012-09-15T18:23:31.244+05:30शर्माजी.... ये जो नेता संसद में बैठे हैं ..कहाँ से...शर्माजी.... ये जो नेता संसद में बैठे हैं ..कहाँ से आये हैं ..क्या इंद्र ने भेजे हैं संसद में या किसी अन्य लोक के हैं....<br />---- ये सब आपके(आप-हम-जनता जनार्दन) बीच से ही आये हुए हैं... आप ही हैं... आप ने ही अपनी बेगैरती या अकार्यकुशलता, अकर्मण्यता, या लालच से पैसे लेकर भेजे हैं संसद में....अतः ये आप की ही भाषा व कर्म अपनाए हुए हैं....<br />--- लोकतंत्र में प्रजा ही राजा होती है...राजा बनाने-चुनने वाली ...यथा राजा तथा प्रजा ..अतः मंत्री जैसे हैं प्रजा का ही दोष है, हमारा दोष है, सबका दोष है, आपकी आचरण-संहिता का दोष है ..... <br />---- विरोध नेताओं का कीजिये, आचारण हीनता का कीजिये , आप के बीच जो भ्रष्टता, अनाचारिता पल रही है उसका कीजिये ...देश व उसके प्रतीकों का नहीं ....<br />----नियम से ऊपर कोई नहीं है... shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5180892187599976558.post-32198628062222766822012-09-14T23:47:11.843+05:302012-09-14T23:47:11.843+05:30अगीत साहित्य दर्पण संपन्न हुआ ,बधाई ,अहम भी गौरवान...अगीत साहित्य दर्पण संपन्न हुआ ,बधाई ,अहम भी गौरवान्वित हुए .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5180892187599976558.post-48231751184703511462012-09-14T23:02:35.722+05:302012-09-14T23:02:35.722+05:30डॉ श्याम गुप्त जी !
जिन पर संसद की मर्यादा का भार...डॉ श्याम गुप्त जी !<br /><br />जिन पर संसद की मर्यादा का भार था ,वह रहजन हो गए ,थुक्का फजीहत की है सांसदों ने संसद की जिनमें तकरीबन १५० तो अपराधी हैं .क्या नहीं होता संसद में क्या नोट के सहारे संख्या नहीं बढ़ाई जाती ?क्या इसी संसद में इक राज्य पाल को बूढी गाय और पूर्व राष्ट्र पति को यह नहीं कहा गया -इक हथिनी पाल रखी है .क्या ये तमाम राहजन(रहजन ) आज जिनके हाथ काले हैं संसद की मर्यादा का दायित्व निभा सके ?<br /><br />असीम त्रिवेदी को आज इस पीड़ा में किसने डाला .किसने किया उसे आत्महत्या के लिए प्रेरित .वह तो चित्र व्यंग्य से अपनी रोटी चला रहा था .उस रोटी को भी उसने देश की वर्तमान अवस्था से दुखी होकर दांव पे लगा दिया .जिन नेताओं को सज़ा मिलनी चाहिए उनके प्रति यदि सहानुभूति जतलाई गई ,सारे युवा गुमराह हो जायेंगे ,<br /><br />ये असीम त्रिवेदी की और श्याम गुप्त जी यहाँ अमरीका में हमारी व्यक्तिगत दुखन नहीं है ,हत्यारों के बीच खड़े होकर उन्हें हत्यारा कहना बड़ी हिम्मत का काम होता है .जोखिम का भी .असीम ने यह जोखिम क्या लखनऊ वालों को तमाशा दिखाने के लिए उठाया है जो उसे सज़ा दिलवाने की पेश कर रहें हैं .<br /><br />ये कैसे भले मानस प्रधान मंत्री हैं जो कहतें हैं :हम जायेंगे तो लड़ते हुए जायेंगे .हाथ में खंजर लिए ये किससे शहादती मुद्रा में लड़ने की बात कह रहें हैं ?क्या उस निरीह जनता से जिसके पहले इन्होनें ,गोसे (उपले ,कंडे )छीन लिए ,जिस जंगल से वह इक्का दुक्का लकड़ी बीनता था उसे वहां से बे -दखल कर दिया और अब कह रहें हैं इक महीने में आधे गैस सिलिंडर से काम चलाओं .जो साल में सातवाँ सिलिंडर खरीदेगे उनसे खुले बाज़ार की कीमत ७६० रुपया ली जायेगी ,सातवें ,आठवें ,नौवें सिलिंडर की भी ..<br /><br /><br />लखनऊ में बैठा आदमी कार्टूनिस्ट की पीड़ा क्या समझ सकता है .पकड़ा जाना चाहिए चोर की माँ को ,जिनपे जिम्मेवारी है संसद की गरिमा ,मर्यादा ,सविधानिक संस्थाओं की मर्यादाओं को बनाए रखने की ,वह देश के शौर्य के प्रतीक सेनापति (पूर्व सेना अध्यक्ष )को कहतें हैं :इसकी औकात क्या है ये तो सरकारी नौकर है .<br /><br />पकड़ा जाना चाहिए इन्हें .<br /><br />आज नेताओं ने गत पैंसठ सालों में सब कुछ तोड़ दिया है .अब तो विनाश के बाद सुधार की अवस्था है .<br /><br />जब किसी भवन (इमारत ) की शीर्ष मंजिल गिर जाती है तब सुरक्षा के लिए बाकी मंजिलों को भी गिराया जाता है .<br /><br />व्यंग्य चित्र या चित्र व्यंग्य की धार लिखे हुए शब्दों लेखन से कहीं ज्यादा होती है इस धार से कार्टूनिस्ट भी छिलता है बच नहीं पाता है .शासन श्याम गुप्त जी मर्यादाओं से चलता है .अपने प्रताप से चलता है .व्यंग्यकार अपने व्यंग्य की धार खुद भी झेल लेता है .मुक़दमे इन नेताओं पर चलने चाहिए जो निशि बासर संसद का अपमान करतें हैं .तिरंगे का अपमान करते हैं .जिसने आज आम आदमी को असीम त्रिवेदी जैसे आदमी को हर संवेदन शील व्यक्ति को वहां लाकर खडा कर दिया है जहां से वह पत्थर उठाकर अपना सिर खुद फोड़ रहा है .<br /><br />शासन ने देश को स्वाभिमान विहीन कर दिया है .यह बात व्यक्ति के अपने दर्द की बात है व्यभि चारी मंत्री को उसे माननीय कहना पड़ता है .जो खुद संविधानिक संस्थाओं को गिरा रहें हैं उन वक्र मुखियों के मुंह से देश की प्रतिष्ठा की बात अच्छी नहीं लगती .फिर चाहे वह दिग्विजय सिंह हों या मनीष तिवारी .उन्हें और किसी और को भी यह हक़ नहीं है कि वह त्रिवेदी पे इलज़ाम लगाएं .आपको भी जो उसके लिए सजा की पेश कर रहें हैं सज़ा का क्वांटम भी बता देते .<br />virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.com