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डा श्याम गुप्त का ब्लोग...

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Lucknow, UP, India
एक चिकित्सक, शल्य-चिकित्सक जो हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान व उसकी संस्कृति-सभ्यता के पुनुरुत्थान व समुत्थान को समर्पित है व हिन्दी एवम हिन्दी साहित्य की शुद्धता, सरलता, जन-सम्प्रेषणीयता के साथ कविता को जन-जन के निकट व जन को कविता के निकट लाने को ध्येयबद्ध है क्योंकि साहित्य ही व्यक्ति, समाज, देश राष्ट्र को तथा मानवता को सही राह दिखाने में समर्थ है, आज विश्व के समस्त द्वन्द्वों का मूल कारण मनुष्य का साहित्य से दूर होजाना ही है.... मेरी तेरह पुस्तकें प्रकाशित हैं... काव्य-दूत,काव्य-मुक्तामृत,;काव्य-निर्झरिणी, सृष्टि ( on creation of earth, life and god),प्रेम-महाकाव्य ,on various forms of love as whole. शूर्पणखा काव्य उपन्यास, इन्द्रधनुष उपन्यास एवं अगीत साहित्य दर्पण (-अगीत विधा का छंद-विधान ), ब्रज बांसुरी ( ब्रज भाषा काव्य संग्रह), कुछ शायरी की बात होजाए ( ग़ज़ल, नज़्म, कतए , रुबाई, शेर का संग्रह), अगीत त्रयी ( अगीत विधा के तीन महारथी ), तुम तुम और तुम ( श्रृगार व प्रेम गीत संग्रह ), ईशोपनिषद का काव्यभावानुवाद .. my blogs-- 1.the world of my thoughts श्याम स्मृति... 2.drsbg.wordpres.com, 3.साहित्य श्याम 4.विजानाति-विजानाति-विज्ञान ५ हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान ६ अगीतायन ७ छिद्रान्वेषी ---फेसबुक -डाश्याम गुप्त

सोमवार, 4 अगस्त 2008

TIME IS MONEY .?

Time is money. but we always cry for short of this money? why we want more time? just to do morework to earn more money in that saved pieceof time. it means to keep us buisyto earn more money. what a controversy? if we donot care for time but use it to enjoy life to make life easy,pleasant and devoted to good deeds for society,mankind and self,there will not be any shortage of time and time will not be only money but LIFE. so time is life and enjoy every moment of life, only than time can be called as money.

अन्धविश्वास को बढ़ावा देना

आजकल हर जगह समाचार पत्रों ,टीवी आदि में फंगश्वे पर तमाम आलेख आदि आरहे हें ,चीनी ड्रेगन ,मेंढक आदि के शुभ ,अशुभ कथन । चीनी वास्तु क्यों ?भारतीय वास्तु क्यों नही ? फ़िर यह अन्धविश्वास को बढ़ाना नही है ?पर उन्हें क्या ,धंधा चाहिए ,पैसा चाहिए । चाहे अपनी संस्कृति बचकर या भुलाकर या कैसे भी ।

आवश्यक उपभोक्ता बस्तुओं का अपव्यय .

सिर्फ़ गाना गाने के लिए इतना बढ़ा मंच ,सजावट विजली ,गैस बरबाद किया जाता है ,इन आयोजनों मैं । गाना तो सदा मंच व एक लाइटमें ही गया जा सकता है ,तभी असली गायक की पहचान होगी । दस साल तक यह सब बंद करदें तो कितना धन व विजली, गैस आदि आवश्यक वस्तुओं के अपव्यय से बचा जा सकता है ,पर किसे पढ़ी है ,बस पैसा आना चाहिए । धंधा होना चाहिए ।