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डा श्याम गुप्त का ब्लोग...

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Lucknow, UP, India
एक चिकित्सक, शल्य-चिकित्सक जो हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान व उसकी संस्कृति-सभ्यता के पुनुरुत्थान व समुत्थान को समर्पित है व हिन्दी एवम हिन्दी साहित्य की शुद्धता, सरलता, जन-सम्प्रेषणीयता के साथ कविता को जन-जन के निकट व जन को कविता के निकट लाने को ध्येयबद्ध है क्योंकि साहित्य ही व्यक्ति, समाज, देश राष्ट्र को तथा मानवता को सही राह दिखाने में समर्थ है, आज विश्व के समस्त द्वन्द्वों का मूल कारण मनुष्य का साहित्य से दूर होजाना ही है.... मेरी तेरह पुस्तकें प्रकाशित हैं... काव्य-दूत,काव्य-मुक्तामृत,;काव्य-निर्झरिणी, सृष्टि ( on creation of earth, life and god),प्रेम-महाकाव्य ,on various forms of love as whole. शूर्पणखा काव्य उपन्यास, इन्द्रधनुष उपन्यास एवं अगीत साहित्य दर्पण (-अगीत विधा का छंद-विधान ), ब्रज बांसुरी ( ब्रज भाषा काव्य संग्रह), कुछ शायरी की बात होजाए ( ग़ज़ल, नज़्म, कतए , रुबाई, शेर का संग्रह), अगीत त्रयी ( अगीत विधा के तीन महारथी ), तुम तुम और तुम ( श्रृगार व प्रेम गीत संग्रह ), ईशोपनिषद का काव्यभावानुवाद .. my blogs-- 1.the world of my thoughts श्याम स्मृति... 2.drsbg.wordpres.com, 3.साहित्य श्याम 4.विजानाति-विजानाति-विज्ञान ५ हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान ६ अगीतायन ७ छिद्रान्वेषी ---फेसबुक -डाश्याम गुप्त

बुधवार, 26 फ़रवरी 2020

किस्से राज काज के --क्रमश --इमरजेंसी पर इमरजेंसी पर इमरजेंसी ...डा श्याम गुप्त

                              ....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ... 

किस्से राज काज के--क्रमश,इमरजेंसी पर इमरजेंसी पर इमरजेंसी ...
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हमारा विवाह ठीक उसी दिन हुआ था जिस दिन देश में प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी घोषित की, अर्थात २५/२६ जून १९७५ ..हम पर भी #इमरजेंसी लग गयी ...छुट्टियां केंसिल होगयीं , तुरंत ही ड्यूटी पर लौटना था | मेरी पोस्टिंग फिरोजपुर ,पंजाब में थी, २८जून को ही हम पति-पत्नी दोनों फिरोजपुर चले गए |
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मैंने इंचार्ज मंडल चिकिता अधिकारी से कहा, हनीमून के लिए तो छुट्टियां देदें | वे बोले वह तो नहीं हो सकता इमरजेंसी लगी है, हाँ हम ऐसा करते हैं सारे डिवीज़न में तुम्हारा आफीसियल टूर बना देते हैं, १-१ ...२-२ दिन पंजाब, हिमाचल, जम्मू –कश्मीर सब हो जायेगा | कहीं नसबंदी केम्प , कहीं स्टाफ ट्रेनिंग, कहीं निरीक्षण , कहीं सिविल डिफेंस परीक्षा आदि | रेलवे का फिरोजपुर डिवीज़न पंजाब, हिमाचल, जम्मू , हरयाणा तक फैला हुआ था | रेलवे के फिरोजपुर मंडल चिकित्सालय के अंतर्गत इनके सभी बड़े स्टेशनों जम्मू, जालंधर , लुधियाना आदि पर रेलवे अस्पताल व हेल्थ यूनिट्स हैं |
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हम फिरोजपुर से अपनी स्पेशल रेल –बोगी , ऑफीसर्स केरिज़ , जिसमें बेड रूम, डाइनिंग व ओफ़ीस सब होता है , जो किसी भी ट्रेन में लगा दी जाती है ,लेकर चल दिए | लुधियाना , जालंधर , पठानकोट , जम्मू फिर काश्मीर जाने का प्रोग्राम था |
------ #पठानकोट पर पहुचते ही #दूसरीइमरजेंसी होगई | बरसात के दिन थे , पंजाब के पठानकोट को जम्मू से जोड़ने वाले कठुआ –जम्मू रेल मार्ग के मध्य पाकिस्तान की सीमा से सटे #साम्बा नगर के निकट #बसंतर नदी का सामरिक महत्त्व का पुल बह गया | सारे देश को जम्मू-कश्मीर से जोड़ने वाला यह एकमात्र रेल मार्ग था | पहले रेलवे वालों ने ही स्थानीय व्यवस्था पर पुल को भराव करके बनाने का प्रयास किया परन्तु बरसाती जल ने दोनों बार ही रेल-ट्रेक के नीचे से भराव को बहा दिया |
--------अब सारी रेलवे के लिए इमरजेंसी घोषित होगई सारे भारत भर से स्टाफ बुलाया जाने लगा | #मिलिटरी इंजीनियर्स की सहायता ली गयी | -----------सांबा क्षेत्र #कोबरा सर्पों का निवास क्षेत्र है | टेम्पोरेरी इमरजेंसी #टेंटअस्पताल खोलने की व्यवस्था हुई |
------ मंडल चिकित्सा अधिकारी ने व्यवस्था दी कि पठानकोट स्वास्थ्य यूनिट स्थित चिकित्सा अधिकारी साम्बा चले जायं और डा गुप्ता को पठानकोट रोक लिया जाय | उन चिकित्सा अधिकारी महोदय ने बहाना बना दिया फलस्वरूप हमें टूर केंसिल करके साम्बा टेंट स्पताल में जाना पडा |
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सड़क के रास्ते जीप से जाना था रास्ते में सारी बरसाती नदियाँ सडक के ऊपर से बह रहीं थीं, कभी भी जीप आदि बह जाने का डर रहता था | एक इंजीनियर की जीप तो अचानक तेज बहाव आने से बह ही गयी बड़ी मुश्किल से उन्हें बचाया गया |
------जम्मू स्टेशन बंद था | सारे देश के अफसर वहां पहले ही आचुके थे , कोइ रेलवे गेस्ट हाउस खाली नहीं था | हमने खाली पड़े #लेडीज़ #वेटिंगरूम को ही अपना गेस्ट हाउस बनाया |
------दिन रात कार्य चलने लगा | लगभग आठ किलोमीटर के दायरे में सफाई, स्वास्थ्य , सर्प रोधी खाइयां , एवं चिकित्सा-इंजरी , सर्जरी आदि व्यवस्था की गयी |
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लगभग दो महीनों तक टेंट अस्पताल साम्बा व वेटिंग रूम जम्मू तक प्रति दिन आना जाना चलता रहा अर्थात हमारा=== #हनीमून का समय जंगल में व टेंट में , वेटिंग रूम व जीप में व्यतीत हुआ |===
-----उस इमरजेंसी में वहां सारा स्टाफ व अफसर एकल ही थे एक हम ही युगल थे | एक बार चीफ इंजीनियर /जनरल मेनेजर ने कमेन्ट भी किया ‘ I think Doctor is happiest here.
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लगभग दो महीने होगये , अधिकाँश कार्य पूरा होचुका था ट्रायल ट्रेन चल चुकी थी , स्टाफ भी कम होगया था |वहां से निकल ही नहीं पा रहे थे | अगस्त और श्रावण का माह आगया | पांच भाइयों की बहन सुषमा जी का घर से बाहर प्रथम #रक्षाबंधन था अतः मायके की याद आने लगी | बस रोने की ही देर थी | किसी प्रकार इन्चार्ज चीफ इंजीनियर को पटा कर वहां से निकले |
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बाद में प्रिंसीपल जनरल मेनेजर द्वारा अनन्य विशिष्ट सेवा हेतु प्रशस्ति-पत्र प्रदान किया गया |
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डा एस बी गुप्ता ---निरीक्षण , टेंट ड्रेसिंग कक्ष --ड्रेसर मि.सरकार 
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टेंट में सुषमा जी 
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सुषमा गुप्ता --महिला मजदूरों के मध्य --जुलाई की उमस व तेज धुप का आनंद 
   
             सुषमा जी महिला मजदूरों के मध्य 
 सुषमा गुप्ता ---साम्बा-जम्मू , बसंतर नदी क्षेत्र ----जंगल में मंगल --