वही सबकुछ...
वही सब कुछ सब जगह है,
वही मैं , तू और वह है ।
वही मिट्टी,वही पानी,
वो हवा की रीति पुरानी।
पंछी और बसंत बहारें,
भंवरे गुनु-गुनु बचन उचारें।
वही कृष्ण हैं, राम वही हैं,
राधा और घनस्याम वही हैं।
पर्वत पर चन्दा है वो ही,
दुनिया का धंधा है वो ही।
मस्जिद भी है,मन्दिर भी है,
तुलसी भी है शंकर भी हैं।
वही अखवार हैं, उनमें-
ख़बर भी वो ही छपतीं हैं।
वही सड़कें जहाँ पर रोज़-
मोटर-कार लड़ती हैं।
वही हैं भीड़ से लथ-पथ,
ये सारे रास्ते सब पथ।
वही हैं खोमचे रेहडी ,
वही होटल वही हल चल।
वही आना वही जाना,
लोग दुःख दर्द के मारे |
पथों पर घूमती गायें,
वही इंसान हैं सारे।
भला बंगलौर या लखनऊ,
रहें मद्रास या दिल्ली |
सभी कुछ एक सा ही है,
नहीं कुछ और न्यारा है।
वो रहता है जो कण-कण में ,
जो रहता है सभी जन में।
सभी दर हैं उसी के प्रिय,
वही दुनिया से न्यारा है।
जहाँ पर वक्त के झोंके,
पढाते शान्ति की भाषा |
झरोखे प्रगतिं के जहाँ पर,
कर्म के कहते परिभाषा |
सिखाता धर्म अनुशासन ,
रहें हिल मिल जहाँ सब जन |
हमें अपना वतन सारा ही,
हिन्दुस्तान प्यारा है ||
वही मैं , तू और वह है ।
वही मिट्टी,वही पानी,
वो हवा की रीति पुरानी।
पंछी और बसंत बहारें,
भंवरे गुनु-गुनु बचन उचारें।
वही कृष्ण हैं, राम वही हैं,
राधा और घनस्याम वही हैं।
पर्वत पर चन्दा है वो ही,
दुनिया का धंधा है वो ही।
मस्जिद भी है,मन्दिर भी है,
तुलसी भी है शंकर भी हैं।
वही अखवार हैं, उनमें-
ख़बर भी वो ही छपतीं हैं।
वही सड़कें जहाँ पर रोज़-
मोटर-कार लड़ती हैं।
वही हैं भीड़ से लथ-पथ,
ये सारे रास्ते सब पथ।
वही हैं खोमचे रेहडी ,
वही होटल वही हल चल।
वही आना वही जाना,
लोग दुःख दर्द के मारे |
पथों पर घूमती गायें,
वही इंसान हैं सारे।
भला बंगलौर या लखनऊ,
रहें मद्रास या दिल्ली |
सभी कुछ एक सा ही है,
नहीं कुछ और न्यारा है।
वो रहता है जो कण-कण में ,
जो रहता है सभी जन में।
सभी दर हैं उसी के प्रिय,
वही दुनिया से न्यारा है।
जहाँ पर वक्त के झोंके,
पढाते शान्ति की भाषा |
झरोखे प्रगतिं के जहाँ पर,
कर्म के कहते परिभाषा |
सिखाता धर्म अनुशासन ,
रहें हिल मिल जहाँ सब जन |
हमें अपना वतन सारा ही,
हिन्दुस्तान प्यारा है ||