....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
आत्मा का निवास कहाँ होता है
ब्रह्मा से बालखिल्य मुनियों ने पूछा कि आत्मा कहां स्थित है तो वे
बोले- यह आत्मा तेज, संकल्प, प्रज्ञान, अहंकार व प्रजापति आदि पांच रूपों में
ह्रदय गुहा में स्थित रहता है | सत्य
संकल्पित मन, प्राण भी यही आत्मा है |
वृहदारण्यक उपनिषद् में आत्मा को चावल
या यव (जौ) के दाने के सामान सूक्ष्म , हृदय में स्थित बताया है |
कठोपनिषद १/२० कहता
है ---
“अणो अणीयान, महतो महीयानात्मास्य जन्तोर्निहितो गुहायाम “ ------यह लघुतम
से भी लघुतम व महान से भी महान आत्मा प्राणियों के गुहा ( ह्रदय ) में स्थित रहता
है |
कठोपनिषद १/१२ में
कथन है –
“ते ददर्श गूढ्मनुप्रविष्ठं,
गुहाहितं गह्वरेष्ठं पुराणे |”
---.--अर्थात
पुराणों के गूढ़ ज्ञान रूपी गहन गुहा में प्रविष्ट करके उसे ( आत्मा को ) देखा/
जाना जा सकता है|
यहाँ ब्रह्म व आत्मा का एकत्व प्रतिपादित
करते हुए कठोपनिषद का कथन है----
कठ. २/१३ में कहा
है-- तस्मात्म स्थं ये अनुपश्यन्ति धीरा ...
-----धीर लोग उसे (
ब्रह्म को )आत्म में स्थित देखते हैं |
कठोपनिषद २/१७ में
कथन है---
अंगुष्ठ मात्र पुरुषोsन्तरात्मा:,
सदा जनानां हृदये संनिविष्ठ:....
------यह अंगुष्ठ
आकार का पुरुष या आत्मा सदा मनुष्य के ह्रदय में स्थित रहता है |