अक्सर लोग ,मीडिआ ,नेता आदि कहते रहते हैं--खेल,कला आदि दोस्ती बढाते हैं आदि-आदि । आज ’दो तूक’ में यही कहा है। पर दो टूक तो यही है कि--यदि यही बात है तो ६२ वर्षों से पाकिस्तान से खेल रहे हैं, अब तक क्या हुआ???? हुज़ूर ! वालीवूड, क्रिकेट ,यास्कूल के बच्चों केडेलिगेसनों क्या होता है, ये सब तो घूमने,पैसे कमाने के धन्धे हैं, दोस्ती से क्या मतलव -अपना मतलव गांठना ही है। दोस्ती के लिये तो राज्नैतिक व नैतिक साहस,और आत्म-विश्वास व आत्मिक साहस की आवश्यकता है ,वो कब आयेगी????