ब्लॉग आर्काइव
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डा श्याम गुप्त का ब्लोग...
- shyam gupta
- Lucknow, UP, India
- एक चिकित्सक, शल्य-चिकित्सक जो हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान व उसकी संस्कृति-सभ्यता के पुनुरुत्थान व समुत्थान को समर्पित है व हिन्दी एवम हिन्दी साहित्य की शुद्धता, सरलता, जन-सम्प्रेषणीयता के साथ कविता को जन-जन के निकट व जन को कविता के निकट लाने को ध्येयबद्ध है क्योंकि साहित्य ही व्यक्ति, समाज, देश राष्ट्र को तथा मानवता को सही राह दिखाने में समर्थ है, आज विश्व के समस्त द्वन्द्वों का मूल कारण मनुष्य का साहित्य से दूर होजाना ही है.... मेरी तेरह पुस्तकें प्रकाशित हैं... काव्य-दूत,काव्य-मुक्तामृत,;काव्य-निर्झरिणी, सृष्टि ( on creation of earth, life and god),प्रेम-महाकाव्य ,on various forms of love as whole. शूर्पणखा काव्य उपन्यास, इन्द्रधनुष उपन्यास एवं अगीत साहित्य दर्पण (-अगीत विधा का छंद-विधान ), ब्रज बांसुरी ( ब्रज भाषा काव्य संग्रह), कुछ शायरी की बात होजाए ( ग़ज़ल, नज़्म, कतए , रुबाई, शेर का संग्रह), अगीत त्रयी ( अगीत विधा के तीन महारथी ), तुम तुम और तुम ( श्रृगार व प्रेम गीत संग्रह ), ईशोपनिषद का काव्यभावानुवाद .. my blogs-- 1.the world of my thoughts श्याम स्मृति... 2.drsbg.wordpres.com, 3.साहित्य श्याम 4.विजानाति-विजानाति-विज्ञान ५ हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान ६ अगीतायन ७ छिद्रान्वेषी ---फेसबुक -डाश्याम गुप्त
मंगलवार, 31 अगस्त 2010
कर्णाटक महिला सेवा समिति ,बन्गलोर----.एक अभिनव संस्था
<--समिति भवन
वर्त्तमान पदाधिकारी-->
कर्नाटक महिला हिन्दी सेवा समिति, चामराज पेट ,बंगलौर की स्थापना स्व.पी आर श्री निवास शास्त्री जी ने गांधीजी के आदर्शों पर चलते हुए , महिलाओं को संगठित करके १९५३ में की थी। यह महिलाओं द्वारा संचालित एक स्वैक्षिक संस्था है जो कर्नाटक के लगभग २७ जिलों में राष्ट्र भाषा हिन्दी के प्रचार -प्रसार में संलग्न है। यह संस्था भारत में एक मात्र ऐसी स्वायत्त शासी संस्था है जो पूर्ण रूप से महिलाओं द्वारा ही संचालित है। इसका संचालन कार्यकारिणी समिति द्वारा होता है एवं बुज़ुर्ग ,सक्रिय महिलाओं का मार्गदर्शन मिलता है।वर्तमान में यह संस्था एक बडे तीन मंज़िले भवन में सुश्री शान्ता बाई के संरक्षण में चलरही है जो एक कुशल अधिकारी , हिन्दी बोलने में पटु व मिलनसार महिला हैं, उन्होंने सारा संस्थान बडे प्रेम से दिखाया एवं समिति के उद्देश्य व क्रिया-कलापों का ब्योरा दिया।
समिति का उद्देश्य हिन्दी प्रचार के साथ भारत की एकता बनाये रखना व प्रान्तीय व अन्य भाषाओं के सहयोग से हिन्दी का विकास करना है। समिति का मुख्य कार्य हिन्दी प्रचार,साहित्य काप्रकाशन,हिन्दी की परीक्षायें लेना व उनके लिये पुस्तकें छापना तथा महिलाओं को ट्रेनिंग देना है। इसके लिये समिति -हिन्दी सुबोध, प्रथमा, मध्यमा, उत्तमा , भाषा भूषण व भाषा प्रवण--की डिग्री देती है। हिन्दी विषयों पर शोध-एम फ़िल, पी एच डी भी कराई जाती है। संस्था अपनी मासिक पत्रिका"हिन्दी प्रचार वाणी" भी प्रकाशित करती है जिसमें हिन्दी भाषा व साहित्य संबन्धी उच्चकोटि के लेख व अन्य साहित्य हो्ता समिति विश्वविध्यालय स्तर की व हिन्दी से कन्नड व कन्नड से हिन्दी की पुस्तकें अनुवाद कराकर भी प्रकाशित करती है। समिति के पांच पुस्तकालय भी हैं जिनमें विविध विषयों की लगभग २५००० पुस्तकें है। समिति का अपनास्वयं का मुद्रणालय ( प्रिन्टिंग प्रेस) भी है एवं अपना कम्प्यूटर विभाग भी है जिनका समस्त कार्य महिलायें ही देखती व करती हैं। समिति १८ वर्ष से ’ हिन्दी शिक्षक प्रशिक्षण’ कार्यक्रम अपने सात हिन्दी प्रशिक्षण कालेजों द्वारा चलारही है।
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