लखनऊ यों तो गोष्ठियों का नगर है, काव्यमय नगर है जिसके बारे में मैंने अपने एक 'श्याम सवैया' में कहा है कि---"--जो कवि हों तौ बसों लखनऊ , हर्षाये गीत-अगीत विधा सी ---"
----लखनऊ में एक काव्य गोष्ठी है " गुरुवासरीय काव्य गोष्ठी " यह कोई रजिस्टर्ड / स्थापित जाना माना नाम नहीं है अपितु एक अनौपचारिक गोष्ठी है। गोष्ठी भी कोई बहुप्रचारित सामान्य काव्य-गोष्ठियों की भांति निर्धारित अध्यक्ष -मुख्य-अतिथि आदि ताम झाम वाली नहीं है, नहीं कवि सम्मेलनों बाला झंझट आदि|न कोई सन्चालक होता है । न इस गोष्ठी की कोई समाचार या सूचना व प्रकाशन , पत्र आदि में दिया जाता हैं न प्रचार किया जाता है, न कोई पब्लिक कार्यक्रम, न लोकार्पण आदि। बस कुछ कवि-गण मिलकर बैठ लेते हैं |अपनी अपनी रचनाएँ प्रस्तुत करते हैं जो प्रायः नवीन रचना होती है | सभी कवियों का स्थान बराबर होता है, कोई छोटे -बड़े की औपचारिकता नहीं होती , चाहे कोई नवीन कवि हो या स्थापित या कवि-गुरु। माँ सरस्वती की वन्दना वही कवि करता है जिसके आवास पर गोष्ठी होरही है | विशिष्ट बात यह है कवियों की रचनाओं व प्रकाशित/ अप्रकाशित पुस्तकों आदि की गुणवत्ता , कमियों , शब्द चयन,विषय-भाव, कथ्य, कला सौन्दर्य , अर्थवत्ता, सामाजिक सरोकारों आदि पर खुलकर व्याख्या व स्वस्थ समालोचना एवं समाधान परक दृष्टिकोण भी अन्य साथी कवियों द्वारा दिया जाता है।
-------इस गोष्ठी की स्थापना के मूल में आलमबाग के मूर्धन्य कविश्री प्रेम चन्द्र सैनी की इच्छा पर श्री( स्व) वीरेन्द्र कुमार अन्शुमाली , अध्यक्ष प्रतिष्ठा संस्था, आलमबाग व श्री ( स्व.)जगत नारायनण पान्डे, एड्वोकेट, मूर्धन्य कवि व विद्वान द्वारा नवगीतकार व वरिष्ठ कवि श्री मधुकर अस्थाना व श्री राम देव लाल ’विभोर’ के सहयोग से की गई । तत्पश्चात कुछ अन्य कवि व साहित्य्कार भी जुडते गये, तभी से लगभग पांच वर्ष से यह गोष्ठी लगातार बिना व्यवधान के चलरही है । इस गोष्ठी की कोई सदस्यता नही है, ७-८ से अधिक सद्स्यों को जोडने का न तो प्रोत्साहन दिया जाता न कोई इच्छा की जाती है। कभी कभी किसी मूर्धन्य कवि-साहित्य्कार को अतिथि के रूप में शामिल करलिया जाता है जिनमें प्रायः साहित्य-भूषण डा रामाश्रय सविता व अगीत विधा के संस्थापक डा रंगनाथ मिश्र ’सत्य’ प्रमुख हैं। यह गोष्ठी प्रत्येक सप्ताह गुरुवार को किसी भी एक सदस्य के घर पर बारी बारी से अनौपचारिक रूप से होती है।
वर्तमान में इस गोष्ठी से नियमित जुडे हुए कवि व साहित्यकार हैं---श्री राम देव लाल विभोर, मधुकर अस्थाना, डा श्याम गुप्त, श्रीमती सुषमा गुप्ता, प्रेम चन्द्र सैनी ,बसन्त राम दीक्षित,श्रीमती पुष्पा दीक्षित , डा श्रीकृष्ण सिन्ह अखिलेश , डा सूर्य प्रकाश शुक्ला हैं एवं श्री चन्द्र पाल सिंह 'चन्द्र' हैं ।