....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
शिव, भोले, शंकर के नाम से अखिल ब्रह्माण्ड में प्रसिद्द, असंख्य नाम वाले , सृष्टि के आदि-देव , सृष्टि के जनक व लिंग रूप में पूजित देवाधिदेव महादेव के द्वादश ज्योतिर्लिंग तो जग-प्रसिद्ध हैं ही , उनके असंख्य मंदिर भारत व विश्व के कोने कोने में स्थित हैं | इसे ही दो महत्वपूर्ण स्थल यहाँ वर्णित हैं --नीलकंठ महादेव एवं टपकेश्वर महादेव |
-----नीचे नीलकंठ महादेव मंदिर मुख्य द्वार और विष पान करते हुए शिव का चित्र .......................
नीलकंठ महादेव --प्रसिद्द तीर्थ , दक्ष प्रजापति के महान यज्ञ स्थल व सती आत्म-दाह स्थल, भगवान शिव के धाम की प्रथम पौड़ी व द्वार -- हरिद्वार, मुनि की रेती से लगभग २२ किमी दूर गंगा के ऊपर की ओर दायीं ओर स्थित पर्वत पर स्थित है | यही वह स्थान है जहां समुद्र मंथन के समय निकला महा-कालकूट विष भगवान शिव ने अपने कंठ में धारण किया था और नीलकंठ कहलाये | हरिद्वार, राम झूला या लक्षमण झूला से टेक्सी द्वारा १ से डेड़ घंटे में वहां पहुंचा जा सकता है | रास्ते में आधे मार्ग तक गंगा की मनोहर धारा व मनोरम पहाडी मार्ग पर साथ साथ चलती है, जो आगे पर्वत से दूर व दूसरी ओर मार्ग बदल कर चली जाती है| टेक्सी ठीक मंदिर के निकट तक जाती है और मंदिर के लिए सिर्फ कुछ सीडियां उतरनी पड़ती हैं | मंदिर प्राचीन काल की पहाडी कला व चित्रकारी का बनाहुआ है| यद्यपि पोलीथीन का प्रयोग स्ट्रिक्टली वर्जित लिखा हुआ है परन्तु सब कुछ पोलीथीन की थेलियों में मिलता है | सभी तीर्थ स्थलों का लगभग यही हाल है ।आस-पास का पहाडी दृश्य मनोरम है |
टपकेश्वर महादेव --- देहरादून से लगभग १० कि मी की दूरी पर , टोंस या तमसा नदी के उद्गम स्थल पर यह अति प्राचीन मंदिर स्थित है | चूने की चट्टानों के पहाड़ के नीचे प्रागेतिहासिक काल की अति संकरी गुफाओं में स्थित इस मंदिर में शिव लिंग के ऊपर सदा पानी टपकता रहता है | सारे मंदिर परिसर में भी इन चूने की चट्टानों से जल टपकता रहता है अतः यह टपकेश्वर महादेव कहलाये| वर्षा व धाराओं का व एकत्रित जल कभी कभी चूने के साथ मिलकर एकदम सफ़ेद दूध की धारा की भाँति भी निकलता है जिसे संभवतः शिव पर दूध चढना भी मान लिया जाता है | लगातार जल टपकने से इस अति-प्राचीन शिवलिंग में जल एकत्रित होने का स्थान भी बन गया है | किम्ब्दंती है कि रात में यहाँ नागराज इस लिंग पर एकत्रित जल व दूध को पीने के लिए आते है |कुछ लोग देखने का भी दावा करते हैं |