....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
सर हमारा, आपके कांधों पै था।
ख्याल सारा, आपकी बातों पे था ।
क्या नज़ारा था, कि हम थे आपके ,
क्या गुमां उन प्यार की रातों पै था।
क्या बतायें, क्या कहैं, कैसे कहैं,
क्या नशा उन दिल के ज़ज़्वातों पै था ।
हम तो उस पल, होगये थे आपके,
इक यकीं बस, आपके वादों पै था ।
आप जो भूले, नहीं था गम कोई,
हमको अरमां आपकी यादों पै था ।
कैसे टूटा श्याम’ टुकडे होगया ,
दिल हमारा, आपके हाथों पै था ॥