....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
विविध रूप बहु भाव युत , असुर किये संहार ,
यह लीला करि श्याम ने, समझाया यह सार |
समझाया यह सार, नगर गृह वर्ग ग्राम में ,
अनाचार पल्लवित, प्रकृति शासन जन मन में |
मिटे अनैतिकता, अक्रियता, फ़ैली बहु विधि ,
जनजनमन हरषाय,विकास नित होय विविध-विधि ||