आप ही देखिये सबसे नीचे के चित्र में , अखबार केसम्पादकीय को -किसने महज़ एक सम्पादक को हक़ दिया की ६ दिसंबर को देश भर से एकत्र, प्रजातंत्र देश की जनता को काली आंधी कहे , एक अदना व्यक्ति इस तरह स्वयंभू विद्वान् बन कर देश की जनता का अपमान करे औरस्वयं ही अपनी बढ़ाई करे ,गुण गाये | आपरेशन ब्ल्यू स्टार व ६ दिसंबर को एक अनैतिक क्रान्ति , फ्रांस की क्रान्ति से जोड़े | और
ये गंगा -जमुना तहजीव क्या चीज़ है ? जो हर स्वयंभू सम्पादक, पत्रकार, छद्म सेक्यूलर , विद्वान् गाता फिरता है |क्या सिर्फ़ हिन्दू-मुस्लिम तहजीव ही गंगा-जमुनी है ,क्या यह तहजीव सिर्फ़ मुस्लिमों के भारत आने पर बनी ? यह तहजीव तो जब से गंगा-जमुना भारत में हें तभी से मौजूद है , यह मनुष्य-मनुष्य की , तहजीबहै , भारतीय तहजीव है ,आपको जीनासिखाती है , मानवता सिखाती है |इसका सम्मिलित तहजीव से क्या सम्बन्ध, हिन्दू-मुस्लिम से क्या सम्बन्ध |६ दिसंबर से क्या सम्बन्ध ?
और इन संपादकों को अपने ही अखबार में छपे अन्य लेख -' योद्दा बनें हर दलित ' जैसे
भड़काऊ ,समाज विरोधी लेख या
प्रतिदिन के काली आंधी वाले समाचार -ह्त्या, लूट,अपहरण, या क़ानून तोड़ने वाले
'मेरी मर्जी' नहीं दिखाई देते , मंथन या समीक्षा के लिए | वे ये सब भूले रहते हैं , क्यों ,कैसे , किसके लिए , कब तक ?
आप ही सोचिये , समझिये , कहिये , बताइये।आख़िर क्यों आवश्यकता पड़ीं इसी समाचार व घटना के मंथन के लिए।
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