....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
सुबह ही सुबह हमारे एक चिकित्सक मित्र घर पधारे और बोले...यार एक केंडीडेट को पास कराना है, अपने अच्छे मित्र का लड़का है | कल तुम्हारा टर्न है और अगर तुमने कुछ उलटा -सीधा रिकार्ड कर दिया तो फिर कुछ नहीं होपायगा, अतः सोचा सुबह ही सुबह मुलाक़ात कर ली जाय |
' पर इतनी चिंता क्यों ठीक होगा तो पास हो ही जायगा |' मैंने कहा |
' नहीं', वे बोले, 'थोड़ी सी विज़न में कमी है | और पैसे ले लिए गए हैं |'
' तो क्या हुआ', मैंने कहा, 'लौटा देना कि काम नहीं होसकता |'
अरे यार ! लिए हुए पैसे तो काम में भी लग गए | खर्च भी होगये | अब घर से पैसे देने में तो बुरा लगता है, कि आई हुई लक्ष्मी क्यों लौटाई जाय | बड़ा धर्म संकट होजाता है |
मैं जब तक कुछ सोच पाता, वे बोले, यार ! अब अधिक न सोचो, कभी तुम्हारा काम भी पडेगा तो मैं भी टांग नहीं अडाऊंगा | यह काम तो करना ही पडेगा, तुम्हारा हिस्सा पहुँच जायगा | और मुझे न चाहते हुए भी उनका काम करना पडा |
मैं सोचने लगा, क्या लोकपाल इस समस्या का कोई हल निकाल पायगा ?
सुबह ही सुबह हमारे एक चिकित्सक मित्र घर पधारे और बोले...यार एक केंडीडेट को पास कराना है, अपने अच्छे मित्र का लड़का है | कल तुम्हारा टर्न है और अगर तुमने कुछ उलटा -सीधा रिकार्ड कर दिया तो फिर कुछ नहीं होपायगा, अतः सोचा सुबह ही सुबह मुलाक़ात कर ली जाय |
' पर इतनी चिंता क्यों ठीक होगा तो पास हो ही जायगा |' मैंने कहा |
' नहीं', वे बोले, 'थोड़ी सी विज़न में कमी है | और पैसे ले लिए गए हैं |'
' तो क्या हुआ', मैंने कहा, 'लौटा देना कि काम नहीं होसकता |'
अरे यार ! लिए हुए पैसे तो काम में भी लग गए | खर्च भी होगये | अब घर से पैसे देने में तो बुरा लगता है, कि आई हुई लक्ष्मी क्यों लौटाई जाय | बड़ा धर्म संकट होजाता है |
मैं जब तक कुछ सोच पाता, वे बोले, यार ! अब अधिक न सोचो, कभी तुम्हारा काम भी पडेगा तो मैं भी टांग नहीं अडाऊंगा | यह काम तो करना ही पडेगा, तुम्हारा हिस्सा पहुँच जायगा | और मुझे न चाहते हुए भी उनका काम करना पडा |
मैं सोचने लगा, क्या लोकपाल इस समस्या का कोई हल निकाल पायगा ?