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डा श्याम गुप्त का ब्लोग...

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Lucknow, UP, India
एक चिकित्सक, शल्य-चिकित्सक जो हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान व उसकी संस्कृति-सभ्यता के पुनुरुत्थान व समुत्थान को समर्पित है व हिन्दी एवम हिन्दी साहित्य की शुद्धता, सरलता, जन-सम्प्रेषणीयता के साथ कविता को जन-जन के निकट व जन को कविता के निकट लाने को ध्येयबद्ध है क्योंकि साहित्य ही व्यक्ति, समाज, देश राष्ट्र को तथा मानवता को सही राह दिखाने में समर्थ है, आज विश्व के समस्त द्वन्द्वों का मूल कारण मनुष्य का साहित्य से दूर होजाना ही है.... मेरी तेरह पुस्तकें प्रकाशित हैं... काव्य-दूत,काव्य-मुक्तामृत,;काव्य-निर्झरिणी, सृष्टि ( on creation of earth, life and god),प्रेम-महाकाव्य ,on various forms of love as whole. शूर्पणखा काव्य उपन्यास, इन्द्रधनुष उपन्यास एवं अगीत साहित्य दर्पण (-अगीत विधा का छंद-विधान ), ब्रज बांसुरी ( ब्रज भाषा काव्य संग्रह), कुछ शायरी की बात होजाए ( ग़ज़ल, नज़्म, कतए , रुबाई, शेर का संग्रह), अगीत त्रयी ( अगीत विधा के तीन महारथी ), तुम तुम और तुम ( श्रृगार व प्रेम गीत संग्रह ), ईशोपनिषद का काव्यभावानुवाद .. my blogs-- 1.the world of my thoughts श्याम स्मृति... 2.drsbg.wordpres.com, 3.साहित्य श्याम 4.विजानाति-विजानाति-विज्ञान ५ हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान ६ अगीतायन ७ छिद्रान्वेषी ---फेसबुक -डाश्याम गुप्त

बुधवार, 24 अगस्त 2011

अन्ना शक्ति-भाग दो ..जन क्रान्ति व उसका इतिहास ....



वामन व राजा बलि

राजा वेन की जंघा मंथन





भगवान राम

 युग कांतिकारी कृष्ण  



महात्मा गांधी
 



                   सरकार व उसके अधिकाँशतर चुप रहने वाले पीएम व सर्व विज्ञ मंत्रीगण एवं मसखरे सिब्बल यह कहते नहीं अघाते कि नियम, क़ानून व व्यवस्था हर एक के या  चार-पांच लोगों के या सिर्फ अन्ना के   कहने से नहीं बनते अपितु एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत संसद में ही बन् सकते हैं | क्या वे नहीं जानते कि यहाँ लोक तो रहता ही सडकों पर है; या  येन केन प्रकारेण संसद में पहुंचे हुए लोग सत्ता- सुन्दरी, सत्ता की कुर्सी व आलीशान महलों , ठंडे  कमरों में रहकर ,बैठकर लोक व जन को सडकों पर रहने को मजबूर करदेते हैं ;  यह जन तंत्र है जनता का तंत्र | अब जनता स्वयं  तो संसद में जायेगी नहीं , वह तो सदा सडकों से ही सत्ताओं, सत्ताधीशों को पदच्युत करती आई है , सुधारती आई है, सबक सिखाती आई है | जब सारा देश ही अन्ना हजारे  के समर्थन में है, जन-लोकपाल बिल के समर्थन में है जैसा कि आज पूरा विश्व देख रहा है तो फिर जनतंत्र में इस जन के सम्मुख किसी संसद या सांसद की क्या बिसात ?
                              हम भूल जाते हैं कि जनक्रांतियां सदैव सडकों से ही उठती हैं |  मानव इतिहास की प्रथम सांकेतिक जन-क्रान्ति जन सामान्य- वामन अवतार द्वारा बलवान,पराक्रमी, ज्ञानी, परन्तु असांस्कृतिक-भाव युत  राजा बलि का पराभव व सु-सांस्कृतिक व्यवस्था का प्रारम्भ  तथा दूसरी वास्तविक जन क्रान्ति  "वेन जंघा भंग " भी जन द्वारा ही अत्याचारी राजा वेन के शरीर का मंथन करके नवीन व्यवस्था का के प्रारम्भ की कहानी है | त्रेता -युग में राम-लक्षमण व सीता द्वारा अत्याचारी विश्व विजयी रावण व उसके रावणत्व के विरुद्ध भी भारत भर के आंचलिक , दीन-हीन जन जन को शिक्षित, उद्वेलित करके  जन -जागरण के माध्यम् से सडकों पर आकर ही जन क्रान्ति द्वारा उसका पराभव किया था |  द्वापर में श्री कृष्ण -राधा ने बृज क्षेत्र में युवा व महिला जनजागरण  द्वारा देश में क्रान्ति का मूल बीज बोया  व  श्रीकृष्ण-अर्जुन ने समस्त भारत भर में  जन जागरण के महामंत्र से जन जन के सहयोग से ही महाभारत जैसी विश्व क्रान्ति का महानतम  कार्य किया था |
                         आधुनिक युग में भी एसी कौन सी क्रान्ति या व्यवस्था परिवर्तन है जिसमें जन जन ने सडकों पर आकर परिवर्तन का सूत्रपात न किया हो व सफल न रही हो | दुनिया भर में नवीन व्यवस्थाओं की स्थापना सडकों पर ही हुई है | आधुनिक इतिहास का सबसे बड़ा व महत्त्वपूर्ण आंदोलन महात्मा गांधी जी का भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम का आंदोलन क्या सड़क पर से जन जन द्वारा नहीं हुआ था जिसने विश्व साम्राज्य के ताबूत में अंतिम कीलें जड़ दीं |
                        क्या हम, हमारी सरकार व जनता के धन-बल से ही एसी-बंगलों -संसद  में बैठे  मंत्रीगण-सांसद  इतिहास से  सबक लेंगे?