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डा श्याम गुप्त का ब्लोग...

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Lucknow, UP, India
एक चिकित्सक, शल्य-चिकित्सक जो हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान व उसकी संस्कृति-सभ्यता के पुनुरुत्थान व समुत्थान को समर्पित है व हिन्दी एवम हिन्दी साहित्य की शुद्धता, सरलता, जन-सम्प्रेषणीयता के साथ कविता को जन-जन के निकट व जन को कविता के निकट लाने को ध्येयबद्ध है क्योंकि साहित्य ही व्यक्ति, समाज, देश राष्ट्र को तथा मानवता को सही राह दिखाने में समर्थ है, आज विश्व के समस्त द्वन्द्वों का मूल कारण मनुष्य का साहित्य से दूर होजाना ही है.... मेरी तेरह पुस्तकें प्रकाशित हैं... काव्य-दूत,काव्य-मुक्तामृत,;काव्य-निर्झरिणी, सृष्टि ( on creation of earth, life and god),प्रेम-महाकाव्य ,on various forms of love as whole. शूर्पणखा काव्य उपन्यास, इन्द्रधनुष उपन्यास एवं अगीत साहित्य दर्पण (-अगीत विधा का छंद-विधान ), ब्रज बांसुरी ( ब्रज भाषा काव्य संग्रह), कुछ शायरी की बात होजाए ( ग़ज़ल, नज़्म, कतए , रुबाई, शेर का संग्रह), अगीत त्रयी ( अगीत विधा के तीन महारथी ), तुम तुम और तुम ( श्रृगार व प्रेम गीत संग्रह ), ईशोपनिषद का काव्यभावानुवाद .. my blogs-- 1.the world of my thoughts श्याम स्मृति... 2.drsbg.wordpres.com, 3.साहित्य श्याम 4.विजानाति-विजानाति-विज्ञान ५ हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान ६ अगीतायन ७ छिद्रान्वेषी ---फेसबुक -डाश्याम गुप्त

बुधवार, 10 जून 2020

काव्यनिर्झरिणी की रचनाएँ-----१५.कुदरत की नियामतें --डा श्याम गुप्त

                   ....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...










काव्यनिर्झरिणी की रचनाएँ-----१५.कुदरत की नियामतें –
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तरबूज की फांक सा,
खिड़की से झांकता |
नीले आकाश में
सारी रात जगता |

वो यात्री सा चाँद,
दिला जाता है याद |
खोल देता है मन में,
स्मृति के कपाट |

होता था कभी चाँद,
एक चांदनी की रात |
वो नानी की कहानी,
वो चांदी सी रात |

वो ऊपर की छत पर,
शीतल मंद समीर |
वो रात की परात में,
यूं बिखरी सी खीर |

खरबूज आम फालसे,
ककडी वो लज्ज़तदार |
तरबूज की तरावट,
खिरनी की वो बहार |

इक चाँद ही नहीं हम,
सूरज भी खोचुके |
उस नीम की बयार,
 से भी हाथ धो चुके |

पंखा है कूलर है ,
एसी का ही  राज है |
सिर दर्द को बढाने का ,
ये सारा ही साज है |

कुदरत की सब नियामतें ,
हम भूल चले हैं |
अपनी बनाई कैद में,
ही फूल चले हैं ||