....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
मेरी शीघ्र प्रकाश्य शायरी संग्रह....." कुछ शायरी की बात होजाए ".... से ग़ज़ल, नज्में , रुबाइयां, कते, शेर आदि इस ब्लॉग पर प्रकाशित किये जायंगे ......प्रस्तुत है......कुछ नज्में... नज़्म ३...
ऐतवार न कर ...
इश्के इकरार या इनकार खुदा की रहमत,
" कुछ शायरी की बात होजाए"...से नज्म-३ .. ऐतवार न कर .....
मेरी शीघ्र प्रकाश्य शायरी संग्रह....." कुछ शायरी की बात होजाए ".... से ग़ज़ल, नज्में , रुबाइयां, कते, शेर आदि इस ब्लॉग पर प्रकाशित किये जायंगे ......प्रस्तुत है......कुछ नज्में... नज़्म ३...
ऐतवार न कर ...
ए मेरे दिल तू यूंही गैर पे ऐतवार न कर |
प्यार को समझे न जो, तू उसे प्यार न कर ||....ऐ मेरे दिल....
गैर तो गैर हैं अपनों का भी एतवार कहाँ ,
ढूँढता क्या है जहां में अब एतवार कहाँ |
अपने एतवार पे भी, ऐ दिल ऐतवार न कर ,
इश्क को समझे न वो, इश्के इजहार न कर || ...ऐ मेरे दिल...
उनपे ऐतवार किया उनका करम देख लिया ,
इश्के इज़हार किया, इश्के भरम देख लिया |
श्याम’ तू एसी खता, अब तो हर बार न कर ,
प्यार को समझे न वो, इश्के इकरार न कर || ...ऐ मेरे दिल ...
इश्के इकरार या इनकार खुदा की रहमत,
कैसे कह दूं कि खुदा पे भी तू एतवार न कर ||
ए मेरे दिल तू यूंही गैर पे ऐतवार न कर |
प्यार को समझे न जो, इश्के-इज़हार न कर |.... ए मेरे दिल ....