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डा श्याम गुप्त का ब्लोग...

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Lucknow, UP, India
एक चिकित्सक, शल्य-चिकित्सक जो हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान व उसकी संस्कृति-सभ्यता के पुनुरुत्थान व समुत्थान को समर्पित है व हिन्दी एवम हिन्दी साहित्य की शुद्धता, सरलता, जन-सम्प्रेषणीयता के साथ कविता को जन-जन के निकट व जन को कविता के निकट लाने को ध्येयबद्ध है क्योंकि साहित्य ही व्यक्ति, समाज, देश राष्ट्र को तथा मानवता को सही राह दिखाने में समर्थ है, आज विश्व के समस्त द्वन्द्वों का मूल कारण मनुष्य का साहित्य से दूर होजाना ही है.... मेरी तेरह पुस्तकें प्रकाशित हैं... काव्य-दूत,काव्य-मुक्तामृत,;काव्य-निर्झरिणी, सृष्टि ( on creation of earth, life and god),प्रेम-महाकाव्य ,on various forms of love as whole. शूर्पणखा काव्य उपन्यास, इन्द्रधनुष उपन्यास एवं अगीत साहित्य दर्पण (-अगीत विधा का छंद-विधान ), ब्रज बांसुरी ( ब्रज भाषा काव्य संग्रह), कुछ शायरी की बात होजाए ( ग़ज़ल, नज़्म, कतए , रुबाई, शेर का संग्रह), अगीत त्रयी ( अगीत विधा के तीन महारथी ), तुम तुम और तुम ( श्रृगार व प्रेम गीत संग्रह ), ईशोपनिषद का काव्यभावानुवाद .. my blogs-- 1.the world of my thoughts श्याम स्मृति... 2.drsbg.wordpres.com, 3.साहित्य श्याम 4.विजानाति-विजानाति-विज्ञान ५ हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान ६ अगीतायन ७ छिद्रान्वेषी ---फेसबुक -डाश्याम गुप्त

रविवार, 26 जनवरी 2020

हिन्दू इतिहास ----एक लाख वर्षों का सनातन हिन्दू धर्म का संक्षिप्त इतिहास----भाग एक --

                            ....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...

हिन्दू इतिहास ----एक लाख वर्षों का सनातन हिन्दू धर्म का संक्षिप्त इतिहास----- भाग एक ---
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अ.पृथ्वी की उत्पत्ति ---४ अरब वर्ष...वैदिक व विज्ञान दोनों ही मान्यताओं में -
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ब.मानव उत्पत्ति --- पृथ्वी पर मानव की उत्पत्ति---
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==१.-#विज्ञान के अनुसार —१लाख ४० हज़ार वर्ष पूर्व –अफ्रीका में ----२०००० वर्ष अफ्रीका से बाहर निकलने में लगे –
==२-#भारतीय शास्त्र के वैदिक साहित्य मतगणना अनुसार --- १लाख वर्ष पहले तो हिन्दू सनातन धर्म की स्थापना होचुकी थी ---धर्म ---सनातन धर्म – वैदिक संस्कृति---हिन्दू धर्म ---| मानव की उत्पत्ति तो भारत भूमि पर लाखों वर्ष पूर्व हुई थी |
\==#पाश्चात्य कथा -- छः युगों में, --संत आगस्टाइन मत –(सभी पाश्चात्य धर्मों में मानव-कथा महाजलप्रलय से प्रारंभ होती है )--
--प्रथम युग –मानव का अवतरण , प्रथम मानव –आदम या एडम्स से ..नोआ जलप्रलय तक ( ब्रह्म, ॐ असतो मा सद गमय .का ज्ञान व कथा यहाँ नहीं है )
--द्वितीय युग ---अब्राहम –सारे विश्व का पिता  ब्रह्मा चतुर्मुख ---स्वय्न्भाव मनु, कश्यप , सप्तर्षि, शिव आदि पाश्चात्य वर्णन में नहीं हैं )
--तृतीय युग –अब्राहम से किंग डेविड तक ..( = राजा प्रथु )
--चतुर्थ युग –डेविड ---प्रभु की जनता का स्वर्ग से बेबीलोनिया में बसना (=राजा पृथु एवं मानव वंश का पृथ्वी पर बसना व फैलना)
--पंचम युग --- उस युग से जीसस क्राइस्ट का जन्म ..(=विभिन्न अवतारों के क्रिया कलाप, द्वापर-कृष्ण तक )
--छटवां युग –जीसस से अब तक –( = नवीन युग-कलियुग - कल्कि अवतार –भविष्य का
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==#भारतीय कथा – (वेदों , उपनिषद, महाभारत, रामायण आदि शास्त्रों के अनुसार )---
सनातन हिन्दू धर्म के १ लाख से भी ज्यादा वर्षों के लिखित इतिहास में लगभग ===20 हजार वर्ष पूर्व नए सिरे से वैदिक धर्म की स्थापना ===हुई और नए सिरे से सभ्यता का विकास हुआ। ( स्वय्न्भाव मनु का काल ---प्रथम सृष्टि _वैवस्वत मनु के काल में द्वितीय सृष्टि ) विकास के इस प्रारंभिक क्रम में हिमयुग की समाप्ति के बाद घटनाक्रम तेजी से बदला।
-----सनातन हिन्दू धर्म में ---प्रारम्भ— ब्रह्माण्ड व पृथ्वी की उत्पत्ति से होता है --शून्य युग,असद ब्रह्म , आदिनाद =ओम , स्वयंभू परब्रह्म से –पर ब्रह्म –अपरा माया ,प्रकृति --आदि-ब्रह्मा---आदि शिव ,महाविष्णु , ब्रह्मा के पुत्र - शिव (=एडम या आदम= प्रथम सभ्यता ----स्वय्न्भाव मनु..जलप्लावन –द्वितीय सभ्यता -वैवस्वत मनु = नोआ, नूह ..
-----वेद और अन्य शास्त्र , पुराण, रामायण , महाभारत पढ़ने पर हमें पता चलता है कि



१.विश्व की प्रथम मानव सभ्यता – देव-असुर सभ्यता --
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-----आदिकाल में प्रमुख रूप से ये जातियां थीं- देव, दैत्य, दानव, राक्षस, यक्ष, गंधर्व, भल्ल, वसु, अप्सराएं, रुद्र, मरुदगण, किन्नर, नाग आदि।
-----प्रारंभ में ब्रह्मा और उनके पुत्रों ने धरती पर विज्ञान, धर्म, संस्कृति और सभ्यता का विस्तार किया। इस दौर में शिव और विष्णु सत्ता, धर्म और इतिहास के केंद्र में होते थे।
------यह #प्रथमसृष्टि थी ---स्वयांभाव मनु -- समस्त धरती पर इन का राज्य था |---देवता और असुरों का काल अनुमानित 20 हजार ईसा पूर्व से लगभग 7 हजार ईसा पूर्व तक चला। ----
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२.#वैदिक सभ्यता -----फिर धरती के जल में डूब जाने के बाद-----(#महाजलप्लावन---मत्स्य अवतार---#द्वितीयसृष्टि ) -----ययाति और वैवस्वत मनु के काल और कुल की शुरुआत हुई। भारत में मनु की नौका के उतरने पर ----भारत भर में मानव फैला जहां से दुनिया भर में मानव का मार्ग प्रशस्त करता रहा | यही मानव विभिन्न सभ्यताएं स्थापित करता रहा |
-----दुनियाभर की प्राचीन सभ्यताओं से सनातन वैदिक हिन्दू धर्म का सम्बन्ध था। संपूर्ण धरती पर हिन्दू वैदिक धर्म ने ही लोगों को सभ्य बनाने के लिए अलग-अलग क्षेत्रों में धार्मिक विचारधारा की नए-नए रूप में स्थापना की थी।
----आज दुनियाभर की धार्मिक संस्कृति और समाज में हिन्दू धर्म की झलक देखी जा सकती है चाहे वह यहूदी, यजीदी, रोमा, पारसी, बौद्ध धर्म हो या ईसाई-इस्लाम धर्म हो।
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------भातीय लोगों ने इस दौर में विश्‍वभर में विशालकाय मंदिर, भवन और नगरों का निर्माण कार्य किया किया था। हिन्दू धर्म ने अपनी जड़ें यूरोप से लेकर एशिया तक फैला रखी थी, जिसके प्रमाण आज भी मिलते हैं।
-------धर्म चाहे कोई भी हो उसका उद्भव सनातन धर्म यानि की हिन्दू धर्म में से ही हुआ है।
-------क्रमश ------अगली पोस्टों में --आगे विश्व की ऐसी ही जगहों का सचित्र वर्णन है जहां कभी हिन्दू धर्म अपने चरम पर हुआ करता था।----सभी चित्र --गूगल एवं निर्विकार 

 

ध्रुवीकरण के पथ पर,,,भारत ---- डा श्याम गुप्त

                                     ....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...

ध्रुवीकरण के पथ पर.....
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महाजलप्लावन में देव-असुर-मानव सभ्यता के विनाश पर जब वैवस्वत मनु के नेतृत्व में नवीन मानव सभ्यता का निर्माण हुआ एवं मानव भारत भूमि पर उतरा और महाराजा ययाति के वंश रूप में समस्त विश्व में विस्तरित हुआ, उन्नति के सोपानों पर बढ़ता हुआ विभिन्न समुदायों में बंटकर स्थापित होने लगा |

-------- कालान्तर में वृहत्तर भारत में चार प्रारम्भिक समुदाय बने यवन,आर्य,किरात,द्रविड़ | पश्चिम में यवन, उत्तर में आर्य, पूर्व में किरात एवं दक्षिण में द्रविड़|

-----इन चारों समुदायों ने आपसी भिन्नताओं, वैमनष्यों, राजनैतिक शत्रुताओं एवं सांस्कृतिक विरोधाभासों को झेलते-लांघते हुए पारस्परिक आदान-प्रदान के आधार पर एक भारत का निर्माण किया| और एक अखंड भारत देश हमारे सम्मुख विश्वरूप बनकर स्थापित हुआ |
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फिर हुआ आक्रमणों का दौर का आरम्भ | अखंड भारत पर सबसे पहला हमला यूनानियों ने किया, फिर हूणों ने फिर मुस्लिमों ने फिर ईसाइयों ने|


-----सभी हमलों को क्रमश पीछे धकेल दिया गया| यूनानियों हूणों आदि को महान भारतीय सनातन संस्कृति ने निगल लिया विलीन कर लिया अब कहाँ हैं वे|


-------मुस्लिम एवं ईसाई हमलों के अवशेष एवं उनके धर्मान्तरित समाज अभी भी चुनौती बन कर भारत एवं सनातन हिन्दू धर्म के सम्मुख उपस्थित हैं जो और अधिक खतरनाक ढंग से सामने आने वाले हैं |
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इतिहास अपने को दोहराने वाला है| इन सभी अवशिष्ट धार्मिक समाजों एवं धर्मान्तरित समाजों का अपने मूल धर्म हिन्दू धर्म में अंतरण होने वाला है, जो हर युग में होता है | वैसे ही जैसे यूनानी व हूण आदि समाजों का हुआ| वे आज कहाँ हैं कब विलुप्त होगयीं किसी को पता भी नहीं चला, उनके अवशेष भी कहाँ हैं, वे सब हिन्दू सभ्यता के अंग बन चुके|
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भारत जैसी सभ्यता जो सनातन काल से है और निरंतरता का प्रतीक है वह अपनी आतंरिक शक्ति से अपने हमलावरों को भी अवशोषित कर लेती है स्वयं में आत्मसात करके|


-------इसीलिये इसे सनातन देश व सनातन धर्म कहा जाता है कि यह सब कुछ झेलते हुए आत्मसात की प्रक्रिया में अपने सनातन हिन्दू स्वरुप को और सुदृढ़ करता हुआ अविनाशी सनातन बना रहता है |


------ आज नहीं तो कल यही परिणाम मुस्लिमों व ईसाई समाज का होने वाला है|
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दीपक की लौ अंतिम समय में तीब्र होने लगती है|