....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
नयन के द्वारे ह्रदय में,
आ बसा है कौन ?
खोल मन की अर्गलायें ,
आ छुपा है कौन ? -----नयन के द्वारे......||
कौन है मन की धरोहर,
यूं चुराए जारहा |
दिले-सहरा में सुगन्धित,
गुल खिलाए जारहा |
कौन सूनी राह पर,
प्रेमिल स्वरों में ढाल कर ;
मोहिनी मुरली अधर धर,
मन लुभाए जारहा |
धडकनों की राह से,
नस नस समाया कौन ?
लीन मुझको कर, स्वयं-
मुझ में समाया कौन | ----नयन के द्वारे ...........||
जन्म जीवन जगत जंगम -
जीव जड़ संसार |
ब्रह्म सत्यं , जगन्मिथ्या ,
ज्ञान अहं अपार |
भक्ति-महिमा-गर्व-
कर्ता की अहं -टंकार |
तोड़ बंधन, आत्म-मंथन ,
योग अपरम्पार |
प्रीति के सुर-काव्य बन,
अंतस समाया मौन ,
मैं हूँ यह या तुम स्वयं हो -
कौन मैं तुम कौन ? -----नयन के द्वारे .....||
नयन के द्वारे ह्रदय में,
आ बसा है कौन ?
खोल मन की अर्गलायें ,
आ छुपा है कौन ? -----नयन के द्वारे......||
कौन है मन की धरोहर,
यूं चुराए जारहा |
दिले-सहरा में सुगन्धित,
गुल खिलाए जारहा |
कौन सूनी राह पर,
प्रेमिल स्वरों में ढाल कर ;
मोहिनी मुरली अधर धर,
मन लुभाए जारहा |
धडकनों की राह से,
नस नस समाया कौन ?
लीन मुझको कर, स्वयं-
मुझ में समाया कौन | ----नयन के द्वारे ...........||
जन्म जीवन जगत जंगम -
जीव जड़ संसार |
ब्रह्म सत्यं , जगन्मिथ्या ,
ज्ञान अहं अपार |
भक्ति-महिमा-गर्व-
कर्ता की अहं -टंकार |
तोड़ बंधन, आत्म-मंथन ,
योग अपरम्पार |
प्रीति के सुर-काव्य बन,
अंतस समाया मौन ,
मैं हूँ यह या तुम स्वयं हो -
कौन मैं तुम कौन ? -----नयन के द्वारे .....||