....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
आज आजाद हुआ भारत ----आज की ग़ज़ल -गज़लोपनिषद ---
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******काशी से नरेंद्र भाई मोदी , प्रधान मंत्री भारत सरकार का आह्वान व उद्घोष -----का मूल मन्त्र ---
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******काशी से नरेंद्र भाई मोदी , प्रधान मंत्री भारत सरकार का आह्वान व उद्घोष -----का मूल मन्त्र ---
१. कार्य में पारदर्शिता व परिश्रम का समन्वय डा श्याम
२.कार्य व कार्यकर्ता , वर्क व वर्कर का एक रूपता भाव
३.सरकार व संगठन का समन्वित रूप व विचार
४.२१ वीं सदी का विज़न ----महान विरासत ---पूजा-पाठ, त्यौहार, शास्त्र व ग्रन्थ के साथ वर्तमान तत्वों का विकास -----अर्थात पुराने को सहेज़कर नवीन की आकांक्षा व वैज्ञानिक विकास के साथ प्रगति ---
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-----आतंक एवं राजनैतिक छुआछूत सहित हर प्रकार की छुआछूत से मुक्ति-----
**********यही तो भारतीयता का मूल भाव है ----
२.कार्य व कार्यकर्ता , वर्क व वर्कर का एक रूपता भाव
३.सरकार व संगठन का समन्वित रूप व विचार
४.२१ वीं सदी का विज़न ----महान विरासत ---पूजा-पाठ, त्यौहार, शास्त्र व ग्रन्थ के साथ वर्तमान तत्वों का विकास -----अर्थात पुराने को सहेज़कर नवीन की आकांक्षा व वैज्ञानिक विकास के साथ प्रगति ---
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-----आतंक एवं राजनैतिक छुआछूत सहित हर प्रकार की छुआछूत से मुक्ति-----
**********यही तो भारतीयता का मूल भाव है ----
====इसी भाव पर प्रस्तुत है मेरी एक ग़ज़ल-----गज़लोपनिषद----
एक हाथ में गीता हो और एक में त्रिशूल |
यह कर्म-धर्म ही सनातन नियम है अनुकूल |
यह कर्म-धर्म ही सनातन नियम है अनुकूल |
संभूति च असम्भूति च यस्तदवेदोभय सह ,
सार और असार संग संग नहीं कुछ प्रतिकूल |
सार और असार संग संग नहीं कुछ प्रतिकूल |
ज्ञान व संसार- माया, साथ साथ स्वीकारें ,
यही जीवन व्यवहार है संस्कृति का मूल |
यही जीवन व्यवहार है संस्कृति का मूल |
पढ़ें लिखें धन कमायें, परमार्थ हित साथ हो,
ज्ञान दर्शन धर्म श्रृद्धा के खिलाएं फूल |
ज्ञान दर्शन धर्म श्रृद्धा के खिलाएं फूल |
किसी के भी धन व स्वत्व का नहीं करें हरण ,
चंचला कब हुई किसकी, जाएँ नहीं भूल |
चंचला कब हुई किसकी, जाएँ नहीं भूल |
यही सत जीवन का पथ, मुक्ति, ईश्वर प्राप्ति 'श्याम,
जीव ! आनंद परम आनंद के हिंडोले झूल ||
जीव ! आनंद परम आनंद के हिंडोले झूल ||