....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
मार्ग...
कहा जाता है,
मार्ग...
कहा जाता है,
मध्यम मार्ग ही श्रेष्ठ है |
हाँ -
यथास्थिति ,साम्यता व ठहराव -
के लिए यथेष्ठ है |
ठहरी हुई सभ्यता ,
ठहरा हुआ समाज ,
ठहरा हुआ इतिहास,
ठहरा हुआ व्यक्तित्व-
तालाब के ठहरे-
पानी की तरह होते हैं; जिसमें -
मेढक , कछुए एवं ,
लिज़लिजाते हुए कृमि-कीट से अन्यथा-
जीवन नहीं पनपता |
युग परिवर्तन, नव चेतना एवं-
नव सर्जना ;
सत्यानुशासन वादी,
क्रान्तिवादी,
चरम आदर्शवादी ,
अतिवादी, कठोर -
मार्ग ही लाता है |
क्रांति-दर्शियों को लीक से हटकर,
सत्य के लिए टकराव का ,
अतिवादी मार्ग ही भाता है |
मनु, मूषा, ईशा,
राम कृष्ण हरिश्चंद्र,
लक्ष्मीबाई शिवा प्रताप,
गौतम, गांधी ,दयानंद,
यदि -कठोर सत्य का मार्ग न अपनाते , तो-
कैसे महान कहलाते ?
कहाँ होते फिर,
हमारे पास, हमारे लिए -
वेद उपनिषद् महान ,
रामायण गीता पुराण,
महाभारत बाइबल कुरआन ;
इंसान कैसे बनता इंसान,
इंसान कैसे बनता महान ||