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हम्पी बादामी यात्रा वृत्त -६ हम्पी.....हजारा राम मंदिर, भीम गेट, माल्यवंत-पर्वत
एवं विट्ठल मंदिर....
हजारा राम मंदिर....रॉयल-परिसर के मध्य स्थित हजारा राम
मंदिर, भगवान विष्णु को समर्पित हम्पी क्षेत्र के सबसे
लोकप्रिय मंदिरों में एवं हम्पी के मुख्य आकर्षणों
में से एक है। इस स्थान का
इस्तेमाल केवल समारोहों के लिए किया जाता था|
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हजारा राम मंदिर |
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नागिन नृत्य |
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खम्भे से प्रकट नृसिंह |
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अहल्या उद्धार |
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बाल कृष्ण |
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रावण व रामायण कथाएं |
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वंशी वादक कृष्ण चतुर्भुज रूप में व गोपियाँ |
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हनुमान सीताजी से चूड़ामणि लेते हुए |
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ताड़का वध |
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श्रवण कुमार की कथा |
इसमें भगवान राम
के कुल एक हजार छोटे- |छोटे चित्र उकेरे
गए हैयह अपनी नक्काशीदार
मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध है जो महाभारत व रामायण
में वर्णित महत्वपूर्ण घटनाओं का प्रतिनिधित्व करती और इन पर हाथी, घोड़े, सैनिकों और नाचती
लड़कियों की भी नक़्क़ाशियां की गई हैं। चार नक़्क़ाशीदार ग्रेनाइट के स्तंभ अर्द्धमंड़प की खूबसूरती
को बढ़ाते हैं| मंदिर की बाहरी दीवारों पर की गई नक़्क़ाशियां इस मंदिर की एक खास
बात है। यहां भगवान बुद्ध
की एक प्रतिमा स्थापित है, जो भगवान विष्णु के नौवें अवतार थे।
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भीमगेट |
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सौगंधिक पुष्प लाते हुए भीम |
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हनुमान का लंका में युद्ध |
भीमगेट ....ज़नाना परिसर से माल्यवंत पर्वत की
तरफ जाते हुए रास्ते में बड़ा सा प्रवेश द्वार पड़ता है जो भीमगेट है यह भी
हम्पी नगर की चाहरदीवारी में एक गेट है | गेट पर महाभारत से सम्बद्ध विभिन्न कथाओं
के शिलाचित्र उकेरे गए हैं जिनमें भीम द्वारा कीचक वध एवं द्रौपदी को बाल
बांधते हुए, भीम को गंधमादन पर्वत से सौगंधिक पुष्प लाते हुए आदि प्रमुख
हैं| इसीलिये इसका नाम भीमगेट रखा गया है|
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भीम द्वारा कीचक वध एवं द्रौपदी बाल बांधते हुए |
आगे माल्यवंत पर्वत के समीप रेस्टोरेंट में
दोपहर का भोजन किया गया | चढ़ाई व समय की कमी के कारण हम माल्यवंत पर्वत पर ऊपर
नहीं चढ़े | अपितु सीधे विट्ठल मंदिर देखने चल दिए|
माल्यवंत पर्वत व
माल्यवंत रघुनाथ
मंदिर...माल्यवंत वह पर्वत है जिस
पर राम रूके थे। भगवान राम ने जहां चार्तुमास किया था, बाली की मृत्यु के बाद भगवान राम ने लक्ष्मण के माध्यम से किष्किंधा के राजा के रूप में सुग्रीव
का राज्यभिषेक कराया। बाद में सुग्रीव से कहा कि बरसात का समय आरंभ हो चुका है। वे माल्यवंत पर्वत (प्रवर्षण पर्वत) पर चार महीने का समय
बिताएंगे। वानर सेना की सीता का पता लगाकर वापसी एवं लंका के लिए प्रस्थान तक
राम-लक्षमण यहीं रहे थे|
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महा शैल (बोल्डर ) पर माल्यवंत रघुनाथ मंदिर |
एक बुजुर्ग ने बताया कि हनुमान आदि वानरों सीता का पता लगाकर लौटते वक्त जिस वन में फल खाये थे, वो मधुवन यहीं है| यहीं पास में ही प्रवर्षण पर्वत की एक गुफा में स्थित शिवजी का मंदिर है। भगवान जब यहां चार महीने के लिए ठहरे हुए थे तो शंकर जी की पूजा करने के लिए यहां
उन्होंने शिवलिंग की स्थापना की थी।
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रघुनाथ मंदिर |
माल्यवन्त
रघुनाथ मंदिर में वर्षों से अखंड वाल्मीकी
रामायण का पाठ होता है। मंदिर के गर्भगृह में राम, सीता, लक्ष्मण और हनुमान की
मूर्तियां हैं। सीता यहां कमलेश्वरी के रूप
में हैं। सीता के चार
हाथ हैं, जिनमें लक्ष्मी की तरह कमल वगैरह हैं। मूर्तियां काले
ग्रेनाइट की बनी हैं| मंदिर का गर्भगृह एक ही पत्थर को काटकर बनाया गया है। हनुमान अपने
हाथ से सीता की चूड़ामणि देते दिखाए गए हैं। मूर्तियों के पीछे एक शिला है, जिसको स्फटिक शिला कहते
हैं।
विट्ठल मंदिर परिसर... हम्पी के अवशेषों में
सर्वाधिक प्रसिद्द एवं शानदार मंदिर है जिसमें प्रसिद्द पत्थर का रथ है जो कर्नाटक
टूरिज्म का चिन्ह है| यह मंदिर हम्पी का आर्कीटेक्चुरल शो-पीस है| मंदिर एक बड़े
परिसर में चारोंओर से परिसर दीवार एवं द्वार से घिरा है | जिसमें बहुत से भवन व
मंदिर स्थित हैं | प्रसिद्ध ५६ संगीतमय खम्भों का सभा भवन भी यहीं
है|
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विठल प.-ऋष्यमूक पर्वत पर तपस्या रत ऋषिगण |
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विट्ठल म. ..सिंहासन मंच पर आराध्य |
मंदिर परिसर के मुख्य गेट से मुख्य मंदिर
परिसर लगभग आधा किलोमीटर दूर है जहां जाने के लिए गोल्फ-कार्ट की तरह के खुले वाहन
हैं जिन्हें महिलायें ही ड्राइव करती हैं | रोड पर विभिन्न मंदिर व परिसर बने हुए
हैं एवं बाज़ार व दुकानों के चिन्ह हैं | इस मार्ग पर कभी प्रसिद्द बाज़ार हुआ
करता था जिसमें घोड़ों का क्रय-विक्रय होता था | विट्ठल मंदिर परिसर में
पर्शियन आदि अन्य विदेशियों को घोड़े आदि बेचते हुए चित्रित किया गया है|खास बात यह है कि इसके खम्भे, दीवारें, छतें सुन्दर
नक्कासी की कारीगरी से सजाई गयी हैं| जिनमें विभिन्न पौराणिक एवं अन्य हिन्दू धर्म
से सम्बंधित चित्र उत्कीर्णित हैं| कहा जाता है कि पत्थर का विशाल रथ
कभी पहियों पर चलता था जो अब जाम होचुके हैं| यह माना जाता है कि गरुड़
रथ था|
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दशशीश रावण -वि.म.
संगीतमय खम्भों का परिसर विट्ठल मंदिर |
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किंग्स बेलेंस |
विट्ठल मंदिर के समीप ही किंग्स बेलेंस
है जहां पर राजा लोग सोने-चांदी, हीरे-जवाहरातों से तौले जाते थे जो गरीबों में
बाँट दिए जाते थे|
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राम-सीता भरत, लक्ष्मण शत्रुहन -वि.म. |
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रावण कैलाश-शिव-पार्वती- उठाते हुए वि.म. |
--------- क्रमश ----भाग ७ ...बादामी पर्वत गुहायें ....
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