....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
यह प्रदर्शन है या अलविदा की नमाज़ या नमाज़ को अलविदा ....
क्या यह प्रदर्शन है......दुनिया भर में प्रदर्शन होते हैं परन्तु डंडे व हथियारों से युक्त होकर कहीं नहीं होते, क्या ये नमाज़ी हैं ? .....नमाजियों पर हथियार कहाँ से आये व क्यों आये ? क्या यह पूर्व-प्लांड था | क्यों आज भी संयुक्त नमाज़ के समय सदा सामान्य-जन में खौफ रहता है एवं दंगे होते हैं |
धर्म, उपासना व प्रार्थना मनुष्य का व्यक्तिगत मामला है ... वस्तुतः सामूहिक उपासना धर्म का भाग नहीं है, इनका कोई तात्विक अर्थ भी नहीं है और यह बंद होजानी चाहिए | धार्मिक प्रवचन जो खुले समाज एवं खुले स्थलों पर होते हैं तथा इस प्रकार की सामूहिक उपासना में अंतर है | इस प्रकार की सामूहिक उपासना अन्य धर्मों में नहीं देखी जाती |
ये घटनाएँ निश्चय ही सामाजिक सौहार्द को नष्ट करती हैं, नगर,देश-राष्ट्र को बदनाम करती हैं, साथ ही मुस्लिम समाज को भी | आखिर क्यों पश्चिमी देशों द्वारा एवं अन्य विश्व में भी आतंक का ठीकरा मुस्लिमों के सर ही फोड़ा जाता है| ऐसी घटनाएँ ही इस सबके लिए जिम्मेदार होती हैं |
हमें यह सब सोचना चाहिए ....कब सोचेंगे ?
यह प्रदर्शन है या अलविदा की नमाज़ या नमाज़ को अलविदा ....
क्या यह प्रदर्शन है......दुनिया भर में प्रदर्शन होते हैं परन्तु डंडे व हथियारों से युक्त होकर कहीं नहीं होते, क्या ये नमाज़ी हैं ? .....नमाजियों पर हथियार कहाँ से आये व क्यों आये ? क्या यह पूर्व-प्लांड था | क्यों आज भी संयुक्त नमाज़ के समय सदा सामान्य-जन में खौफ रहता है एवं दंगे होते हैं |
धर्म, उपासना व प्रार्थना मनुष्य का व्यक्तिगत मामला है ... वस्तुतः सामूहिक उपासना धर्म का भाग नहीं है, इनका कोई तात्विक अर्थ भी नहीं है और यह बंद होजानी चाहिए | धार्मिक प्रवचन जो खुले समाज एवं खुले स्थलों पर होते हैं तथा इस प्रकार की सामूहिक उपासना में अंतर है | इस प्रकार की सामूहिक उपासना अन्य धर्मों में नहीं देखी जाती |
ये घटनाएँ निश्चय ही सामाजिक सौहार्द को नष्ट करती हैं, नगर,देश-राष्ट्र को बदनाम करती हैं, साथ ही मुस्लिम समाज को भी | आखिर क्यों पश्चिमी देशों द्वारा एवं अन्य विश्व में भी आतंक का ठीकरा मुस्लिमों के सर ही फोड़ा जाता है| ऐसी घटनाएँ ही इस सबके लिए जिम्मेदार होती हैं |
हमें यह सब सोचना चाहिए ....कब सोचेंगे ?