....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
( अमत्ता-कवित्त -- छंद में सभी वर्ण लघु होते हैं )
( अमत्ता-कवित्त -- छंद में सभी वर्ण लघु होते हैं )
उठि सखि चलि जलु भरनि जमुन तट ,
पुनि चलि उपवन पुहुप सुघरि चुनि |
चितव चितव इत उत् किहि लखि सखि ,
कनु न मिलहि इत मधुवन चलि पुनि |
अली जु रिसइ कहि अब न चलहुं, पर-
उझकि-उझकि सुनि मुरलि-धरन धुनि ।
लटकि लटकि लट सरकि सरकि पटु,
स्रवन फ़रकि फ़र कुंवर बयन सुनि ॥