....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
तर गए प्रोफ सी एन राव
भगवान ( चाहे क्रिकेट जैसे
व्यर्थ के एवं विदेशी और धन्धेबाज़ व पैसे के लिए, पैसे से सराबोर खेल का ही क्यों
न हो ) के साथ उन्हें भी भारत-रत्न मिलने पर एक अनजाने वैज्ञानिक, सामान्य
वीवीआईपी विश्व-विख्यात वैज्ञानिक प्रोफ. चिंतामणि नागेश रामचंद्र राव को (जिन्हें भारत की अधिकाँश जनता नहीं जानती है,
जबकि भगवान सचिन रमेश तेंदुलकर को दुनिया का बच्चा बच्चा, युवा, बड़े-बूढ़े, गली के
कूड़े सभी जानते हैं ) तो वास्तव में ही
स्वयं को भाग्यशाली मान लेना ही चाहिए | यही प्रदर्शित कर रहे हैं हमारे दृश्य-श्रृव्य-प्रिंट
-मीडिया देखिये ये टिप्पणियाँ .....
“ मास्टर ब्लास्टर सचिन जहां क्रिकेट के मैदान
पर शतकों के शतक (चाहे जिस के लिए उन्हें
अनावश्यक काफी समय तक जबरदस्ती टीम में खेलना-झेलना पडा हो ) बना चुके है वहीं
प्रख्यात वैज्ञानिक प्रोफ राव ( भी ? ) शोध जगत के शतकवीर हैं|”......... “जिस तरह
सचिन क्रिकेट के मास्टर हैं उसी तरह प्रोफ राव भी वैज्ञानिक शोध क्षेत्र के मास्टर
माने जाते हैं |”
अर्थात सचिन की ही तरह हैं प्रोफ.राव.....
सचिन की प्रतिच्छाया की भाँति... उन्हीं के पद-चिन्हों पर |
मीडिया को भी प्रोफ राव के बारे में शायद ही अधिक
ज्ञान हो, यदि सचिन को भारत-रत्न नहीं मिलता तो न वे प्रोफ राव के बारे में जानते
न भारत-रत्न के | न भारत-रत्न पुरस्कार के बारे में हर टीवी चेनल, समाचार-पत्र में
समाचार, कालम, आलेख, फेस-बुक, ट्विटर पर
दुनिया भर के कमेंट्स |
शायद मैं स्वयं भी यह आलेख नहीं
लिख रहा होता ? इसे कहते हैं भगवान की महिमा.....
“ को न होइ वाचाल, मूर्ख ज्ञानधारी विकट”
जासु कृपा सौं श्याम, हों अजान विख्यात अतिं |”
जब रोम जल रहा था तो नीरो वंशी
बजा रहा था और रोम की जनता बड़े-बड़े स्टेडियमों में खेलों में व्यस्त थी |
हम कब समझेंगे ?