ब्लॉग आर्काइव
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डा श्याम गुप्त का ब्लोग...
- shyam gupta
- Lucknow, UP, India
- एक चिकित्सक, शल्य-चिकित्सक जो हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान व उसकी संस्कृति-सभ्यता के पुनुरुत्थान व समुत्थान को समर्पित है व हिन्दी एवम हिन्दी साहित्य की शुद्धता, सरलता, जन-सम्प्रेषणीयता के साथ कविता को जन-जन के निकट व जन को कविता के निकट लाने को ध्येयबद्ध है क्योंकि साहित्य ही व्यक्ति, समाज, देश राष्ट्र को तथा मानवता को सही राह दिखाने में समर्थ है, आज विश्व के समस्त द्वन्द्वों का मूल कारण मनुष्य का साहित्य से दूर होजाना ही है.... मेरी तेरह पुस्तकें प्रकाशित हैं... काव्य-दूत,काव्य-मुक्तामृत,;काव्य-निर्झरिणी, सृष्टि ( on creation of earth, life and god),प्रेम-महाकाव्य ,on various forms of love as whole. शूर्पणखा काव्य उपन्यास, इन्द्रधनुष उपन्यास एवं अगीत साहित्य दर्पण (-अगीत विधा का छंद-विधान ), ब्रज बांसुरी ( ब्रज भाषा काव्य संग्रह), कुछ शायरी की बात होजाए ( ग़ज़ल, नज़्म, कतए , रुबाई, शेर का संग्रह), अगीत त्रयी ( अगीत विधा के तीन महारथी ), तुम तुम और तुम ( श्रृगार व प्रेम गीत संग्रह ), ईशोपनिषद का काव्यभावानुवाद .. my blogs-- 1.the world of my thoughts श्याम स्मृति... 2.drsbg.wordpres.com, 3.साहित्य श्याम 4.विजानाति-विजानाति-विज्ञान ५ हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान ६ अगीतायन ७ छिद्रान्वेषी ---फेसबुक -डाश्याम गुप्त
गुरुवार, 15 जनवरी 2015
जहरीला जहर ....डा श्याम गुप्त
....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
जहरीला जहर
उत्तर प्रदेश में जहरीली शराव पीने से
तमाम मौतें हुईं | यस शोक का एवं कठोर आवश्यक कार्यवाही करने का समय तो है ही, साथ
ही साथ यह भी की अभी तक नकली शराव बनाने व बेचने वालों पर रोक क्यों नहीं लगाई गयी
| छोटी छोटी भारतीय प्राचीन सांस्कृतिक बातों पर चीखने चिल्लाने वाले समाजवादी,
साम्यवादी संस्थाएं व उदारवादी एवं महिला संस्थाएं क्या कर रहीं थीं जो बात यहाँ
तक आ पहुँची | स्थानीय महिलायें क्या कर
रहीं थी जिन्होंने अपने पुरुष वर्ग आदि को शराव जैसा जहर पीने से नहीं रोका |
शराव स्वयं में ही एक स्वयं सिद्ध जहर
है उसका क्या असली होना क्या नकली होना | आखिर उन लोगों ने शराव पी ही क्यों | लोग
शराव पीते ही क्यों हैं | वस्तुतः तो ऐसे लोगों से हमदर्दी होनी ही नहीं चाहिए |
शराव पीना स्वयं में ही एक अवगुण, सामाजिक बुराई एवं आपराधिक कृत्य है | शराब का
क्या नकली होना क्या असली होना | जब तक लोग स्वयं शराब पीना बंद नहीं करेंगे एवं
शासन व समाज कठोरता से इस बुराई का विरोध नही करेगा ये घटनाएँ होती ही रहेंगीं |
दोष पीने वालों का है, न शराब का न नकली
का |
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