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अब देखिये --आज के घोषित बेस्टसेलर (हिन्दी में 'बिकाऊ' नहीं?? असभ्य शब्द लगता है ! )--'लेडीस कूपे' ..थ्री मिस्टेक्स....'फाइव पाइंट..द गोड आफ ...स्टे हंगरी ...अमेजिंग रेसल्ट...अल्केमिस्ट ..यूं केन हील...फिश ...सबाल ही जबाव ...गुनाहों का देवता...राग दरवारी ...आग का दरिया ...आदि आदि ...अब है इस हिन्दी की कोई टक्कर ...!! क्या इस बेस्ट सेलर में कितने प्रतिशत हिन्दी , हिन्दी साहित्य व हिन्दी-हिन्दुस्तानी संस्कृति है? वैशाली ...और वाण भट्ट....आदि तो..कोई सिरफिरा साहित्यकार ही पढ़रहा होगा ।
----ये सब अंग्रेज़ी से अनुवाद हैं या बकवास कथाएँ ----हिन्दी के दुर्भाग्य में अनुवादों का भी महत्त्व पूर्ण हाथ है जो वस्तुतः बाज़ार, कमाऊ लेखक, धंधेबाज़ व्यापारी -प्रकाशक गुट के भाषा -साहित्य -संस्कृति द्रोही कलापों का परिणाम है ।
-----अजी छोडिये भी .....कौन सी हिन्दी ??---आर आर इंस्टी टयूट, आई दी एस , परफेक्ट , कोफ्स-२०१० , एस सी, एस टी, इंटर स्कूल फेस्ट लांच , सेलीब्रिटी , एल डी ए...धड़ल्ले से 'यूज़' होरहे हैं ....क्यों व्यर्थ हिन्दी वाले रोराहे हैं ।