<---हम हिन्दी भी पढेंगे तो अंग्रेज़ी में , तभी हिन्दी आगे बढ़ेगी (गुलामी में रहकर )--देखिये साथ का समाचार...
अब देखिये --आज के घोषित बेस्टसेलर (हिन्दी में 'बिकाऊ' नहीं?? असभ्य शब्द लगता है ! )--'लेडीस कूपे' ..थ्री मिस्टेक्स....'फाइव पाइंट..द गोड आफ ...स्टे हंगरी ...अमेजिंग रेसल्ट...अल्केमिस्ट ..यूं केन हील...फिश ...सबाल ही जबाव ...गुनाहों का देवता...राग दरवारी ...आग का दरिया ...आदि आदि ...अब है इस हिन्दी की कोई टक्कर ...!! क्या इस बेस्ट सेलर में कितने प्रतिशत हिन्दी , हिन्दी साहित्य व हिन्दी-हिन्दुस्तानी संस्कृति है? वैशाली ...और वाण भट्ट....आदि तो..कोई सिरफिरा साहित्यकार ही पढ़रहा होगा ।
----ये सब अंग्रेज़ी से अनुवाद हैं या बकवास कथाएँ ----हिन्दी के दुर्भाग्य में अनुवादों का भी महत्त्व पूर्ण हाथ है जो वस्तुतः बाज़ार, कमाऊ लेखक, धंधेबाज़ व्यापारी -प्रकाशक गुट के भाषा -साहित्य -संस्कृति द्रोही कलापों का परिणाम है ।
-----अजी छोडिये भी .....कौन सी हिन्दी ??---आर आर इंस्टी टयूट, आई दी एस , परफेक्ट , कोफ्स-२०१० , एस सी, एस टी, इंटर स्कूल फेस्ट लांच , सेलीब्रिटी , एल डी ए...धड़ल्ले से 'यूज़' होरहे हैं ....क्यों व्यर्थ हिन्दी वाले रोराहे हैं ।
ब्लॉग आर्काइव
- ► 2013 (137)
- ► 2012 (183)
- ► 2011 (176)
- ▼ 2010 (176)
- ► 2009 (191)
डा श्याम गुप्त का ब्लोग...
- shyam gupta
- Lucknow, UP, India
- एक चिकित्सक, शल्य-चिकित्सक जो हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान व उसकी संस्कृति-सभ्यता के पुनुरुत्थान व समुत्थान को समर्पित है व हिन्दी एवम हिन्दी साहित्य की शुद्धता, सरलता, जन-सम्प्रेषणीयता के साथ कविता को जन-जन के निकट व जन को कविता के निकट लाने को ध्येयबद्ध है क्योंकि साहित्य ही व्यक्ति, समाज, देश राष्ट्र को तथा मानवता को सही राह दिखाने में समर्थ है, आज विश्व के समस्त द्वन्द्वों का मूल कारण मनुष्य का साहित्य से दूर होजाना ही है.... मेरी तेरह पुस्तकें प्रकाशित हैं... काव्य-दूत,काव्य-मुक्तामृत,;काव्य-निर्झरिणी, सृष्टि ( on creation of earth, life and god),प्रेम-महाकाव्य ,on various forms of love as whole. शूर्पणखा काव्य उपन्यास, इन्द्रधनुष उपन्यास एवं अगीत साहित्य दर्पण (-अगीत विधा का छंद-विधान ), ब्रज बांसुरी ( ब्रज भाषा काव्य संग्रह), कुछ शायरी की बात होजाए ( ग़ज़ल, नज़्म, कतए , रुबाई, शेर का संग्रह), अगीत त्रयी ( अगीत विधा के तीन महारथी ), तुम तुम और तुम ( श्रृगार व प्रेम गीत संग्रह ), ईशोपनिषद का काव्यभावानुवाद .. my blogs-- 1.the world of my thoughts श्याम स्मृति... 2.drsbg.wordpres.com, 3.साहित्य श्याम 4.विजानाति-विजानाति-विज्ञान ५ हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान ६ अगीतायन ७ छिद्रान्वेषी ---फेसबुक -डाश्याम गुप्त
मंगलवार, 14 सितंबर 2010
सदस्यता लें
संदेश (Atom)