....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
सतसंगति
सत-संगति संतन कर संगा ,
सत-संगति वैतरिणी गंगा ||
सांची भक्ति वहीं, प्रभु सोई
जहां संत रहता हो कोई |
बलिहारी संतन पद गाऊँ ,
सत-संगति संतन पद ध्याऊँ |
वहीं अयोध्या काशी सोई,
जहां संत रहता हो कोई |
मथुरा वृन्दावन रामेश्वर,
वहीं तीर्थ हैं जहां संत स्वर |
जिस गृह सत्-संगति, श्रुति-संता ,
सो गृह तीरथ बसें अनंता |
सत् संगति संतन कर संगा ,
सत संगति वैतरिणी गंगा ||
ज्ञानदेव रैदासा मीरा,
रामकृष्ण चैतन्य कबीरा |
तुलसी नानक के पद गाऊँ ,
सूरदास रस भक्ति सजाऊँ |
शिरडी संत-शिरोमणि सोई ,
जहां संत रहता हो कोई |
जिस मन संतन प्रेम समाना ,
उससे दूर नहीं भगवाना |
संतन पद सेवा कर जोई,
रोकी न सकें कोटि यम सोई |
जो सतसंगति रंगहि रंगा ,
पार करे वैतरिणी गंगा ||
सांची भक्ति वहीं प्रभु सोई,
जहां संत रहता हो कोई |
सतसंगति संतन कर संगा ,
सत् संगति वैतरिणी गंगा ||
सत-संगति संतन कर संगा ,
सत-संगति वैतरिणी गंगा ||
सांची भक्ति वहीं, प्रभु सोई
जहां संत रहता हो कोई |
बलिहारी संतन पद गाऊँ ,
सत-संगति संतन पद ध्याऊँ |
वहीं अयोध्या काशी सोई,
जहां संत रहता हो कोई |
मथुरा वृन्दावन रामेश्वर,
वहीं तीर्थ हैं जहां संत स्वर |
जिस गृह सत्-संगति, श्रुति-संता ,
सो गृह तीरथ बसें अनंता |
सत् संगति संतन कर संगा ,
सत संगति वैतरिणी गंगा ||
ज्ञानदेव रैदासा मीरा,
रामकृष्ण चैतन्य कबीरा |
तुलसी नानक के पद गाऊँ ,
सूरदास रस भक्ति सजाऊँ |
शिरडी संत-शिरोमणि सोई ,
जहां संत रहता हो कोई |
जिस मन संतन प्रेम समाना ,
उससे दूर नहीं भगवाना |
संतन पद सेवा कर जोई,
रोकी न सकें कोटि यम सोई |
जो सतसंगति रंगहि रंगा ,
पार करे वैतरिणी गंगा ||
सांची भक्ति वहीं प्रभु सोई,
जहां संत रहता हो कोई |
सतसंगति संतन कर संगा ,
सत् संगति वैतरिणी गंगा ||