....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
चित्र-- गूगल साभार |
शंख-चक्र औ गदा-पद्म कर,
रूप चतुर्भुज सदा सुहाए |
मृदु मुस्कान सदा आनन पर,
सदा ध्यान-रत मुद्रा भाये ||
शेषनाग की शैया स्थित,
श्यामल छवि मन को मोहे |
नीलकमल से लोचन जिनके ,
बैजंती माला उर सोहे ||
बच्चो ! ये भगवान विष्णु हैं ,
जो सब जग का पालन करते |
रहें ध्यान-मुद्रा में बहुधा,
सारे जग को देखते रहते ||
जब जब दुष्ट अधर्मी पापी,
करते जग में अत्याचार |
उन्हें मिटाने तब तब ये ही,
लेते पृथ्वी पर अवतार ||
सत्य घोष है अर्थ शंख का,
दुष्ट दमन बल गदा बताए |
सृष्टि नियामक-भाव चक्र, कर -
पद्म, श्री-समृद्धि सुहाए ||