....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
श्री लंका यात्रा-वृत्त
( मेरी श्री लंका यात्रा २२-१२-१२ से ३०-१२-१२ तक...)
किसी भी स्थान या देश की यात्रा का पूर्ण आनंद लेने के लिए उसके यात्रा संबंधी ज्ञान, होटल आदि रहने के स्थान, दर्शनीय स्थल आदि की प्रारम्भिक जानकारी एवं कार्यक्रम का पूर्व निर्धारण के साथ साथ ही उसके भूगोल एवं इतिहास का मूल –सामान्य ज्ञान भी लेलिया जाय तो यात्रा और आनंदमय-ज्ञानमय होजाती है जो यात्रा,टूरिज्म का मुख्य उद्देश्य है |
श्री लंका का भारत से सदा ही गहन रूप से जुड़ा रहा रहा है| गोंडवाना लेंड के दक्षिणी ध्रुव अंटार्कटिका से आस्ट्रेलिया व भारतीय भूमि-भाग पृथक होने पर लंका भारतीय भूमि से ही जुड़ा हुआ था |
श्री लंका का भूगोल – श्री लंका हिन्द महासागर में भारत के दक्षिण में ६ से १० डिग्री उत्तरी अक्षांश पर स्थित एक द्वीप है | केन्द्रीय पहाडी एवं तटीय मैदानी भागों वाला यह द्वीप जंगली हाथियों व भैसों के बहुतायत से पूर्ण है| ( इसीलिये पौराणिक राम-कथानुसार कुम्भकर्ण को जगाने हेतु भैंसों के परिक्रमा व बलि दी जाती थी ) मानसून वाले इस द्वीप में वार्षिक वर्षा २५० -५०० सेमी तक होती है | वार्षिक औसत ताप २७ डिग्री से व पहाड़ों पर १५ से तक एवं नमी ७०-९० % तक रहती है| भूगर्भ से रत्न, व लौह अयस्क के भण्डार व समुद्र से मोती यहाँ प्राप्त होते हैं|
श्री लंका का इतिहास ---
A.पौराणिक इतिहास ----
------- विश्वकर्मा द्वारा शिव के लिए बनाई गयी लंका, कैलाश से पहले शिव के उपासकों नागों, देवों, मानवों जातियों व शिव-गणों का निवास स्थान था | भारतीय सप्तर्षियों में से एक पुलस्त्य के पुत्र विश्रवा जो महान जैव विज्ञानी ( जेनेटिक विज्ञानी ) थे और विविध –विचित्र शरीर वाले मानव, बौने, जानवर-मानव मिश्रित मानव, भूत-प्रेत, आदि का (शिव के गण) निर्माण किया करते थे | लंका का प्रारंभिक नाम हेला द्वीप था |
--- ब्रह्मा के वरदान से शक्तिशाली हुए दैत्य—माली, सुमाली आदि ने लंका पर अधिकार कर लिया एवं स्वर्ग पर चढ़ाई के उपरांत विष्णु की सहायता से देवों ने उन्हें हराकर शिव की इच्छानुसार विश्रवा के पुत्र यक्षराज कुबेर को सौंप दी और यक्ष - संस्कृति की स्थापना हुई || रत्नों की भरमार होने से उसका नाम “रत्नद्वीप” हुआ |
----- विश्रवा के दैत्य पत्नी से पुत्र आर्य व दैत्य वर्णसंकर रावण ने कुबेर से लंका छीन कर वहां रक्ष –संस्कृति स्थापित की तथा लंकापुरी के नाम से प्रसिद्द हुई | विद्वान् व महान वैज्ञानिक पिता विश्रवा के ज्ञान की छाया में अत्यधिक भौतिक उन्नति के कारण रावण के राज्य में गरीबी से गरीब भी सोने के वर्तनों का प्रयोग करता था अतः वह सोने की लंका के नाम से प्रसिद्ध हुई | नाग, देव, यक्ष, राक्षस, मानव सभी यहाँ के निवासी थे | राम-रावण युद्ध में राम की सहायता हेतु दक्षिण भारत से शिवपुत्र कार्तिकेय को भेजा गया था इस प्रकार श्री लंका में भारतीय तमिल मूल के हिन्दू-निवासियों का भी आगमन हुआ|
--- रावण के पतन के उपरांत छोटे भाई राम-भक्त विभीषण, नरेश बना और वैष्णवों-देवों की आर्य-हिन्दू संस्कृति पुनः स्थापित हुई | नाग, देव, यक्ष, राक्षस ,मानव सभी पूर्ण शान्ति व समन्वय के साथ रहने लगे | आगे द्वापर-युग में युधिष्ठिर के अश्वमेध यज्ञ के अवसर पर सहदेव व अश्व का भारत के दक्षिणी तट पर लंका से आकर विभीषण ने रत्नाभूषणों सहित स्वागत किया था व युधिष्ठिर की अधीनता स्वीकार की थी |
रामसेतु -एडम्स ब्रिज या रावण सेतु |
--- आधुनिक ज्ञात इतिहास ६०० ईशा पूर्व ..उत्तर भारतीय प्रदेश कलिंग के सिंहली राजकुमार विजय के श्रीलंका पर आधिपत्य से प्रारम्भ होता है | उस समय आदिवासी यक्का लोग ( धनुष-वाण वाले शिकारी कबीले ---यक्का = यक्ष या राक्षस ? ) व वेददा लोग ( ? देव नाग आदि वैदिक संस्कृति के ) वहा थे | यक्का राजकुमारी ‘कुवैनी’ से विवाहोपरांत वेददा कबीला की महत्ता बढ़ी एवं भारतीय पांडु-राजकुमारी से ‘सिंहली’ वंश व हिन्दू राज्य की स्थापना हुई | प्राचीन मुख्य ग्राम सबारागामुवा ( ? सबर गाँव –भारतीय शबर कबीले का गाँव ) को अनुराधापुरा नाम से राजधानी बनाया गया | पत्ते की शक्ल के द्वीप के कारण लंका का नाम ताम्रपर्णी हुआ|
--- भारतीय तमिल राजा चोल- गुटटका द्वारा सिंहल राज्य को हराकर अनुराधापुरा में तमिल –द्रविड़ राज्य की स्थापना की गयी ..| ..इस प्रकार नाग, यक्ष ( यक्का )तमिल, सिंहल आदि सभी आर्य-हिन्दू वंशों का राज्य विभिन्न प्रदेशों में चलता रहा, जो आपस में युद्दरत रहते थे|
---- लगभग २०० ईपू में मौर्य सम्राट अशोक के पुत्र महेंद्र व पुत्री संघमित्रा द्वारा बौद्ध धर्म के श्रीलंका में प्रसार एवं तत्कालीन नाग राजा टिस्सा द्वारा बौद्ध धर्म ग्रहण करने पर लंका का राजकीय धर्म बुद्ध धर्म हो गया अतः लंका एक बौद्ध-धर्म प्रधान देश बना |
---- १०० ईपू में सिंहल राजा दुत्तगामनी ने लंका में तमिल राजा को हरा कर पुनः सिंहल राज्य की स्थापना की एवं लंका का नाम सिंहल हुआ... सदियों तक तमिल, नाग, सिंहल राज्य विभिन्न भागों में राज्य करते रहे एवं आपस में युद्धरत रहते रहे |
---- १८०० ई में अंग्रेजों के अधिकार होने पर सिंहल को अंग्रेज़ी में सीलोन बना दिया गया | जो ०४-फरवरी १९४८ ई में श्रीलंका के नाम से स्वतंत्र जनतंत्र राज्य बना | श्री लंका का मूल धर्म बौद्ध-धर्म है परन्तु ईसाई , हिन्दू एवं मुस्लिम धर्म के लोग भी यहाँ रहते हैं | देश में अंग्रेज़ी, सिंहली एवं तमिल तीनों भाषाएं आधिकारिक भाषा हैं|
----- क्रमश ---भाग दो... कोलम्बो ...