....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
माँ का आह्वान
अतुलनीय मां महिमा तेरी, वर्णन की मेरी शक्ति नहीं ।
परम-ब्रह्म के साथ युक्त हो, श्रिष्टि रचना करती हो ,
रक्षक-पालक तुम हो जग की,जग को धारण करती हो।
ब्रह्मा, विष्णु, महेश मां तेरी इच्छा से तन धारण करते ,
महा-शक्ति तेरी स्तुति की, जग में क्षमता-शक्ति नहीं।
----परम शक्ति मां……..||
तुच्छबुद्धि तुझ पराशक्ति के ओर-छोर को क्या जाने,
ममतामयी रूप तेरा ही, माता वह तो पहचाने ।
तेरे नव-रूपों के भावों पर, अगाध श्रद्धा से भर,
करें अनुसरण और कीर्तन, इससे बढकर भक्ति नहीं ।
-----परम शक्ति मां……||
मां आगमन करो इस घर में, हम पूजन,गुण-गान करें,
धूप, दीप, नैवैध्य समर्पण, कर तेरा आह्वान करें ।
इन नवरात्रों में मां आकर, हम सबका कल्याण करो,
धरें शीश तेरे चरणों पर, इससे बढकर मुक्ति नहीं ॥
----परम शक्ति मां…… ||