....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
गमे-दिल को यूंही गले लगाता चल |
दर्दे-दिल के गीत यूंही गाता चल |
दर्द के नग्मे तूने सदा ही गाये हैं,
दर्द पाया है तो सीने में सजाता चल |
कौन एसा जिसे दर्दे-जिगर मिलता नहीं,
दिल को जो भाया उसे दिल में बसाता चल |
दर्द है दोस्त इंसा का इश्के-तूफां में,
दर्द पीकर भी दुनिया को हंसाता चल |
उनकी नेमत है सीने में सजाये रख श्याम ,
जाम अश्कों के पिए जश्न मनाता चल |
गमे-दिल को यूंही गले लगाता चल |
दर्दे-दिल के गीत यूंही गाता चल |
दर्द के नग्मे तूने सदा ही गाये हैं,
दर्द पाया है तो सीने में सजाता चल |
कौन एसा जिसे दर्दे-जिगर मिलता नहीं,
दिल को जो भाया उसे दिल में बसाता चल |
दर्द है दोस्त इंसा का इश्के-तूफां में,
दर्द पीकर भी दुनिया को हंसाता चल |
उनकी नेमत है सीने में सजाये रख श्याम ,
जाम अश्कों के पिए जश्न मनाता चल |