....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
प्रत्येक क्षेत्र में यही स्थिति है ..सिर्फ दलहन में ही क्या ....... अन्न ..गेहूं, चावल, खाद्य-तेल, अन्य कपडे-जूते आदि मानव प्रयोग की वस्तुएं व खाद्य-पदार्थ, जल, सिंचाई, तकनीकी , शिक्षा , कल्चर , खेल ...हर क्षेत्र में नक़ल की आयातित -संस्कृति चल रही है और यह सब है धंधेबाजी हेतु -- कमीशनखोरी , भ्रष्टाचार के कारण .... और अधिक ..और अधिक कमाई हेतु ....
----- देखिये एक आँख खोलने वाला विचारणीय आलेख .......