....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
--खुदा हाफिज़ , ॐ शांति , INTERMISSION......
--खुदा हाफिज़ , ॐ शांति , INTERMISSION......
अनवर जमाल साहब को अब हिन्दू धर्म की महिमा को मान लेना चाहिये । वे नेट से इसलिये छुट्टी ले रहे हैं की बच्चे मेथ्स में कम नंबर लाने लगे | वे पांच वक्त के नमाजी हैं, खुदा के इतने पास हैं कि लोगों को खुदा से बात कराने का दावा करते हैं व दावत देते रहते हैं | पर यदि खुदा अपने इतने सच्चे बन्दे के बच्चों को भी गणित में अच्छे नंबर नहीं दिला पाया या पहले से ही व्यक्ति को चेताया नहीं तो क्या फ़ायदा | इससे तो अच्छा हिन्दू वैदिक धर्म है जो सभी को सिर्फ मानव को कर्म करने की आज्ञा देता है चाहे कोइ पूजा अर्चना करे या न करे, ईश्वर को माने या न माने, मन्दिर जाये या नजाये | न किसी का कोइ काम स्वयं करने का वादा/दावा करता है | कर्मण्येवाधिकारास्ते ..... ईशोपनिषद (यजुर्वेद ) का मूल मन्त्र इन श्लोकों में देखिये ...
" अन्धतम प्रविशन्ति ये अविध्यामुपासते | ततो भूय इव ते तमो य उ विद्याया रताः ||...इषो -९
अर्थात वे जो अविद्या ( भौतिकता, व्यवसायिक, व्यवहारिक, सांसारिक ज्ञान )में ही लगे रहते हैं महान अन्धकार में ( मुश्किलों , कठिनाइयों में ) पड़ते हैं ; परन्तु जो सिर्फ विद्या में ( अध्यात्म, धर्म, ज्ञान, ईश्वर , पूजा पाठ, परमार्थ आदि ) में लगे रहते हैं; सांसारिक कर्म की चिंता नहीं करते, कमाते धमाते नहीं, घर गृहस्थी, बच्चों की फ़िक्र नहीं करते; वे और भी अधिक अन्धकार में गिरते हैं, मुश्किलों में पड़ते हैं | अतः ---
"विध्यान्चाविध्यां च यस्तद वेदोभय सह | अविद्यया मृत्युं तीर्त्वा विध्ययामृतम्नुश्ते ||"...इषो -११
अर्थात मनुष्य को कर्म( अपना व्यवहारिक, सांसारिक,व्यवसायिक कर्म भाव ) व ज्ञान (ईश्वरीय भाव, दर्शन, अध्यात्म,धर्म, सदाचरण, परमार्थ आदि ) को साथ साथ जानना, करना व उपासना चाहिए | ताकि वह कर्म से मृत्यु को ( संसारी -सुख,संमृद्धि -शान्ति-सम्पन्नता,सफलता, सहित ) पार करके ज्ञान से अमृत (शान्ति, आनंद, परमानंद , मोक्ष ) प्राप्त कर सके |