. ...कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ....
सखी री ! आया होली का त्योहार ॥
पवन बसन्ती रस रंग घोले ,
फगुनाई सी बयार ...|
सखी री आया होली का त्यौहार ||
कली कली मुसुकाये, भ्रमर सब -
लुटाने को वेज़ार |
भ्रमर करें गुंजार |
घूंघट पट से झांकें सखियाँ ,
पिया करें मनुहार | -------सखी री ! आया .....||
रात की रानी वन में गमके -
झूमे मलय बहार |
अंग अंग में रस रंग सरसे-
मधु ऋतु है रस सार |
प्रीति रीति का पाठ पढ़ाने ,
आयी ऋतु श्रृंगार |
सखी री ! आया होली का त्यौहार ,
सखी री ! आया होली का त्यौहार ||