....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
श्याम स्मृति-१५ .... कुतर्क ..
प्रायः व्यक्ति व कुछ विद्वान् जब विपक्षी की युक्तियों प्रश्नों के युक्ति-युक्त उत्तर देने में स्वयं को असमर्थ पाते हैं तो वे उसे कुतर्क करने के आवरण में टालने का प्रयास करने लगते हैं |
मेरे विचार में सर्व-ज्ञाता होने का भ्रम है यह | कुतर्क नाम का कोई तथ्य नहीं होता | कारण-कार्य पर सृजित ,स्थित व गतिशील इस विश्व में कुछ भी बिना कारण के नहीं होता, अतः हर तर्क व क्यों का एक उत्तर अवश्य होता है | अतः कुतर्क नाम के शब्द का कोई अस्तित्व नहीं | हाँ जब हम स्वयं के ज्ञान व बुद्धि के एक स्तर से आगे के ज्ञान से अनभिज्ञ होते हैं और अहंवश उसे स्वीकार नहीं करना चाहते तो हम उसे कुतर्क कहने लगते हैं | प्रत्येक कारण का एक कारण अवश्य होता है और जहां मानवीय बुद्धि के ज्ञान की सीमा होती है अर्थात अज्ञात है या अभी ज्ञात नहीं वहां होता है कारणों का कारण... ईश्वर |
श्याम स्मृति-१५ .... कुतर्क ..
प्रायः व्यक्ति व कुछ विद्वान् जब विपक्षी की युक्तियों प्रश्नों के युक्ति-युक्त उत्तर देने में स्वयं को असमर्थ पाते हैं तो वे उसे कुतर्क करने के आवरण में टालने का प्रयास करने लगते हैं |
मेरे विचार में सर्व-ज्ञाता होने का भ्रम है यह | कुतर्क नाम का कोई तथ्य नहीं होता | कारण-कार्य पर सृजित ,स्थित व गतिशील इस विश्व में कुछ भी बिना कारण के नहीं होता, अतः हर तर्क व क्यों का एक उत्तर अवश्य होता है | अतः कुतर्क नाम के शब्द का कोई अस्तित्व नहीं | हाँ जब हम स्वयं के ज्ञान व बुद्धि के एक स्तर से आगे के ज्ञान से अनभिज्ञ होते हैं और अहंवश उसे स्वीकार नहीं करना चाहते तो हम उसे कुतर्क कहने लगते हैं | प्रत्येक कारण का एक कारण अवश्य होता है और जहां मानवीय बुद्धि के ज्ञान की सीमा होती है अर्थात अज्ञात है या अभी ज्ञात नहीं वहां होता है कारणों का कारण... ईश्वर |