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डा श्याम गुप्त का ब्लोग...

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Lucknow, UP, India
एक चिकित्सक, शल्य-चिकित्सक जो हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान व उसकी संस्कृति-सभ्यता के पुनुरुत्थान व समुत्थान को समर्पित है व हिन्दी एवम हिन्दी साहित्य की शुद्धता, सरलता, जन-सम्प्रेषणीयता के साथ कविता को जन-जन के निकट व जन को कविता के निकट लाने को ध्येयबद्ध है क्योंकि साहित्य ही व्यक्ति, समाज, देश राष्ट्र को तथा मानवता को सही राह दिखाने में समर्थ है, आज विश्व के समस्त द्वन्द्वों का मूल कारण मनुष्य का साहित्य से दूर होजाना ही है.... मेरी तेरह पुस्तकें प्रकाशित हैं... काव्य-दूत,काव्य-मुक्तामृत,;काव्य-निर्झरिणी, सृष्टि ( on creation of earth, life and god),प्रेम-महाकाव्य ,on various forms of love as whole. शूर्पणखा काव्य उपन्यास, इन्द्रधनुष उपन्यास एवं अगीत साहित्य दर्पण (-अगीत विधा का छंद-विधान ), ब्रज बांसुरी ( ब्रज भाषा काव्य संग्रह), कुछ शायरी की बात होजाए ( ग़ज़ल, नज़्म, कतए , रुबाई, शेर का संग्रह), अगीत त्रयी ( अगीत विधा के तीन महारथी ), तुम तुम और तुम ( श्रृगार व प्रेम गीत संग्रह ), ईशोपनिषद का काव्यभावानुवाद .. my blogs-- 1.the world of my thoughts श्याम स्मृति... 2.drsbg.wordpres.com, 3.साहित्य श्याम 4.विजानाति-विजानाति-विज्ञान ५ हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान ६ अगीतायन ७ छिद्रान्वेषी ---फेसबुक -डाश्याम गुप्त

शनिवार, 18 मई 2013

श्याम स्मृति-१५ .... कुतर्क ..डा श्याम गुप्त

                                ....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...

श्याम स्मृति-१५ .... कुतर्क ..
                 प्रायः व्यक्ति व कुछ विद्वान् जब विपक्षी की युक्तियों प्रश्नों के युक्ति-युक्त उत्तर देने में स्वयं को असमर्थ पाते हैं तो वे उसे कुतर्क करने के  आवरण में टालने का प्रयास करने लगते हैं |
                मेरे विचार में सर्व-ज्ञाता होने का भ्रम है यह | कुतर्क नाम का कोई तथ्य नहीं होता | कारण-कार्य पर सृजित ,स्थित व गतिशील इस विश्व में कुछ भी बिना कारण के नहीं होता, अतः हर तर्क व क्यों का एक उत्तर अवश्य होता है | अतः कुतर्क नाम के शब्द का कोई अस्तित्व नहीं | हाँ जब हम स्वयं के ज्ञान व बुद्धि के एक स्तर से आगे के ज्ञान से अनभिज्ञ होते हैं और अहंवश उसे स्वीकार नहीं करना चाहते तो हम उसे कुतर्क कहने लगते हैं | प्रत्येक कारण का एक कारण अवश्य होता है और जहां मानवीय बुद्धि के ज्ञान की सीमा होती है अर्थात अज्ञात है या अभी ज्ञात नहीं वहां होता है कारणों का कारण... ईश्वर |