....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
यह आदि-सृष्टि कैसे हुई, ब्रह्मांड कैसे बना एवं हमारी अपनी पृथ्वी कैसे बनी व यहां तक का सफ़र कैसे हुआ, ये आदि-प्रश्न सदैव से मानव मन व बुद्धि को निरन्तर मन्थित करते रहे हैं । इस मन्थन के फ़लस्वरूप ही मानव धर्म, अध्यात्म व विग्यान रूप से सामाजिक उन्नति में सतत प्रगति के मार्ग पर कदम बढाता रहा । आधुनिक विग्यान के अनुसार हमारे पृथ्वी ग्रह की विकास-यात्रा क्या रही इस आलेख का मूल विषय है । इस आलेख के द्वारा हम आपको पृथ्वी की उत्पत्ति, बचपन से आज तक की क्रमिक एतिहासिक यात्रा पर ले चलते हैं।...प्रस्तुत है इस श्रृंखला का भाग तीन ....जीवन का विकास ....
( सृष्टि व ब्रह्मान्ड रचना पर वैदिक, भारतीय दर्शन, अन्य दर्शनों व आधुनिक-विज्ञान के समन्वित मतों के प्रकाश में इस यात्रा हेतु -- मेरा आलेख ..मेरे ब्लोग …श्याम-स्मृति the world of my thoughts..., विजानाति-विजानाति-विज्ञान , All India bloggers association के ब्लोग …. एवं e- magazine…kalkion Hindi तथा पुस्तकीय रूप में मेरे महाकाव्य "सृष्टि -ईशत इच्छा या बिगबैंग - एक अनुत्तरित उत्तर" पर पढा जा सकता है| ) -----
यह आदि-सृष्टि कैसे हुई, ब्रह्मांड कैसे बना एवं हमारी अपनी पृथ्वी कैसे बनी व यहां तक का सफ़र कैसे हुआ, ये आदि-प्रश्न सदैव से मानव मन व बुद्धि को निरन्तर मन्थित करते रहे हैं । इस मन्थन के फ़लस्वरूप ही मानव धर्म, अध्यात्म व विग्यान रूप से सामाजिक उन्नति में सतत प्रगति के मार्ग पर कदम बढाता रहा । आधुनिक विग्यान के अनुसार हमारे पृथ्वी ग्रह की विकास-यात्रा क्या रही इस आलेख का मूल विषय है । इस आलेख के द्वारा हम आपको पृथ्वी की उत्पत्ति, बचपन से आज तक की क्रमिक एतिहासिक यात्रा पर ले चलते हैं।...प्रस्तुत है इस श्रृंखला का भाग तीन ....जीवन का विकास ....
( सृष्टि व ब्रह्मान्ड रचना पर वैदिक, भारतीय दर्शन, अन्य दर्शनों व आधुनिक-विज्ञान के समन्वित मतों के प्रकाश में इस यात्रा हेतु -- मेरा आलेख ..मेरे ब्लोग …श्याम-स्मृति the world of my thoughts..., विजानाति-विजानाति-विज्ञान , All India bloggers association के ब्लोग …. एवं e- magazine…kalkion Hindi तथा पुस्तकीय रूप में मेरे महाकाव्य "सृष्टि -ईशत इच्छा या बिगबैंग - एक अनुत्तरित उत्तर" पर पढा जा सकता है| ) -----
भाग ४-- कैम्ब्रियन विस्फोट..
(जीवन व जैव-विविधता का तेजी से विकास )
कैम्ब्रियन काल (542-488
Ma) में जीवन की उत्पत्ति की दर तेजी से बढ़ी इस अवधि में अनेक नई प्रजातियों, फाइला, तथा रूपों की अचानक हुई
उत्पत्ति को कैम्ब्रियन विस्फोट कहा जाता है. कैम्ब्रियन विस्फोट में जैविक फॉर्मेन्टिंग अभूतपूर्व थी घोंघे, एकीनोडर्म, क्राइनॉइड तथा आर्थोपोड (जैसे जीवों में शरीर के ठोस अंगों, जैसे कवचों, कंकालों या बाह्य-कंकालों
के विकास ने पूर्वजों की अपेक्षा जीवन के रूपों का संरक्षण व जीवाश्मीकरण अधिक सरल
बनादिया| इस युग में बड़े पैमाने पर हुए सामूहिक विलोपन को जीवाश्मों द्वारा जाना जाता है, जिसमें कुछ नये समूह
पूरी तरह अदृश्य होगये |.
नोटोकोर्ड (आद्यपृष्ठ)
का आविर्भाव--- पिकाइया एक ऐसा प्राणी था, जो मछ्लियों का पूर्वज है उसमें एक
आद्यपृष्ठवंश (नोटोकोर्ड ) था, यही संरचना बाद में रीढ़ की हड्डी (मेरुदंड-- vartibral column ) के रूप में विकसित हुई |
मछलियों का जन्म -कैम्ब्रियन के दौरान, पहले कशेरुकी जीवों, उनमें भी सबसे पहले मछलियों का जन्म हुआ. जबड़ों वाली शुरुआती मछलियां उत्पन्न हुईं. नये
स्थानों पर कालोनियां बनाने के परिणाम स्वरूप शरीर का आकार बहुत विशाल हो गया. इस
प्रकार, प्रारंभिक पैलियोज़ोइक के दौरान बढ़ते आकार वाली मछलियां उत्पन्न हुईं, जो 7 मीटर तक लंबाई तक हो
सकती थीं.
सुपरकॉन्टिनेन्ट पेनेशिया का विघटन – पेनेशिया छोटे
महाद्वीपों लॉरेन्शिया, बाल्टिका, साइबेरिया तथा गोंडवाना में विघटित हो गया था|
हिम-युग के दौरान, अनेक सामूहिक विलोपन हुए, जिनमें अनेक ब्रैकियोपॉड्स, ब्रियोज़ोआ तथा मूंगे
आदि समाप्त हो गए. ये समुद्री प्रजातियां शायद समुद्री जल के घटते तापमान को नहीं सह
सकीं. इस विलोपन के बाद नई प्रजातियों का जन्म हुआ, जो कि अधिक विविध तथा
बेहतर ढंग से अनुकूलित थीं| उन्हें विलुप्त हो चुकी प्रजातियों द्वारा खाली किये गये
स्थानों को भरना था |
लौरेन्शिया तथा बैल्टिका
महाद्वीपों की टक्कर (४५० से ४०० मिलियन वर्ष)-- हुई जिससे लॉरुशिया का निर्माण हुआ जिससे
बाद में स्केंडीनेविया, स्काटलेंड तथा पूर्वी ऐपलाकियन्स
आदि बने | गोंडवाना तथा साइबेरिया, लॉरुशिया की ओर सरकने लगे| लॉरुशिया के साथ साइबेरिया के टक्कर हुई व परिणामस्वरूप यूरेलियन पर्वत समूह का निर्माण हुआ, पुनः लॉरुशिया के साथ गोंडवाना की टक्कर से विभिन्न
पर्वतों व सीरीजों का निर्माण व भूमि -समूहों का निर्माण हुआ|
यह बाद वाला चरण कार्बोनिफेरस काल (359-299
Ma) के दौरान पूर्ण हुआ और इसके परिणामस्वरूप अंतिम
सुपरकॉन्टिनेन्ट पैन्जाइया की रचना हुई | जिससे आधुनिक
महाद्वीपों की रूप रेखाएं बनीं | ---पेंजिया
...
जल से बाहर जीवन का अस्तित्व-- प्रकाश संश्लेषण से ऑक्सीजन एकत्रित हुई, जिसके परिणामस्वरूप एक ओज़ोन परत का निर्माण हुआ, जिसने सूर्य के अधिकांश
पराबैंगनी विकिरण को अवशोषित कर लिया, अतः जो एककोशीय जीव भूमि तक पहुंच चुके थे, उनके मरने की संभावना कम हो गई थी, और प्रोकेरियोट जीवों ने गुणात्मक रूप से बढ़ना प्रारंभ कर दिया तथा वे जल के बाहर अस्तित्व के लिये बेहतर ढंग से अनुकूलित हो गए |
मछली --- सर्व-प्रथम कशेरुकी ( मेरुदंड धारी
जीव ) का
उद्भव -- 530
Ma के लगभग महासागर में अवतरित हुई. |
वनस्पति (जो संभवतः शैवाल जैसे थे) एवं कवक -- जल के किनारों पर और फिर उससे बाहर पृथ्वी पर उगने शुरु हुए | प्रारंभ में वे जल के किनारों के पास
बने रहे, लेकिन उत्परिवर्तन और विविधता के परिणामस्वरूप नये
वातावरण में भी कालोनियों का निर्माण हुआ.
संधि-पाद प्राणी -- लगभग 450 Ma में पहले प्राणी द्वारा महासागर से निकलने का प्रमाण संधि-पाद प्राणियों की उपस्थिति
द्वारा मिलता है, जो भूमि पर स्थित
वनस्पतियों के द्वारा प्रदत्त विशाल खाद्य-स्रोतों के कारण बेहतर ढंग से अनुकूलित
बन गये और विकसित हुए|
चतुष्पाद प्राणी का विकास (380 से 375 Ma के लगभग) हुआ-- उभयचरों की उत्पत्ति --- मछली के पंख पैरों के रूप में विकसित हुए, जिससे पहले चतुष्पाद
प्राणियों को सांस लेने के लिये अपने सिर पानी से बाहर निकालने का मौका मिला;
अंततः उनमें से कुछ भूमि पर जीवन के प्रति इतनी अच्छी तरह
अनुकूलित हो गए कि उन्होंने अपना वयस्क जीवन भूमि पर बिताया, हालांकि वे अपने जल में ही अपने अण्डों से बाहर निकला करते थे और अण्डे देने के लिये पुनः
वहीं जाया करते थे. यह प्रारंभिक उभयचरों की उत्पत्ति थी.
वनस्पति-बीजों का विकास लगभग 365 Ma में, एक और वैश्विक शीतलन ( हिम युग ) के कारण, एक और विलोपन-काल आया जिसके पश्चात वनस्पतियों से बीज निकले, जिन्होंने इस समय तक
(लगभग 360 Ma तक) भूमि पर अपने विस्तार की गति नाटकीय रूप से बढ़ा
दी | नग्न-बीजी से आवृत्त बीजी तत्पश्चात पुष्प का विकास हुआ (132
Ma तक ) |
पूर्ण-स्थलीय जीव की
उत्पत्ति --- भूमि पर अण्डों की उत्पत्ति --(340 Ma ) हुई, जो कि भूमि पर भी दिये जा सकते थे, जिससे चतुष्पाद भ्रूणों
को अस्तित्व का लाभ प्राप्त हुआ. इसका परिणाम उभयचरों से उल्वों (स्थलीय) में विकास
के रूप में मिला |
अगले 30 मिलियन वर्षों में --132
Ma) उड़ने वाले और न उड़ने
वाले डाइनोसोरों के बीच सीमा स्पष्ट नहीं है, लेकिन आर्किप्टेरिक्स, जिसे पारंपरिक रूप से
शुरुआती पक्षियों में से एक माना जाता था, लगभग 150
Ma में पाया जाता था| सॉरोप्सिडों (पक्षियों व सरीसृपों सहित) से साइनैप्सिडों (स्तनधारियों सहित) का विचलन देखा गया. जीवों के अन्य समूहों का विकास
जारी रहा, और श्रेणियां-मछलियों, कीटों, जीवाणुओं आदि
में-विस्तारित होती रहीं|
पक्षियों, सरीसृपों,
डायनासोर व स्तनधारी जीव की उत्पत्ति--
मेसोजोइक काल ( पृथ्वी का मध्य
काल -२५० मिलियन वर्ष ) में -विलोपन की आज तक की सबसे भयंकर घटना हुई; पृथ्वी पर मौजूद जीवन का 95% समाप्त हो गया और मध्य-कालीन
जीवन की शुरुआत हुई, विलोपन की यह घटना संभवतः
साइबेरियाई भूखंड की ज्वालामुखीय घटनाओं, किसी उल्का-पिण्ड के
प्रभाव, मीथेन हाइड्रेट के
गैसीकरण, समुद्र के जलस्तर में
परिवर्तनों, ऑक्सीजन में कमी की किसी बड़ी घटना, अन्य घटनाओं या इन घटनाओं
के किसी संयोजन के कारण हुई| किसी तरह कुछ जीवन बच गया और लगभग 230
Ma में, डायनोसोर अपने सरीसृप पूर्वजों
से अलग हो गए. ट्रायेसिक और जुरासिक कालों के बीच अनेक डायनोसोर बच गए, और जल्द ही वे कशेरुकी-जीवों में प्रभावी बन गए| हालांकि स्तनधारियों की कुछ
श्रेणियां इस अवधि में पृथक होना शुरु हो चुकीं थीं, लेकिन पहले से मौजूद
सभी स्तनधारी संभवतः छछूंदरों जैसे छोटे प्राणी थे. 180
Ma तक, पैन्जाइया के विघटन से लॉरेशिया और गोंडवाना का निर्माण हुआ| आर्किप्टेरिक्स जैसे शुरुआती पक्षियों का उद्भव हुआ | पक्षियों के साथ
प्रतिस्पर्धा के कारण अनेक टेरोसॉर्स विलुप्त हो गये और डाइनोसोर शायद पहले से ही
घटते जा रहे थे |
डायनासोर्स
व अन्य बड़े प्राणियों का विलोप -- 65 मिलियन में, संभवतः एक 10-किलोमीटर का उल्का-पिण्ड पृथ्वी पर गिरा| इससे पदार्थ व वाष्प की
बड़ी मात्राएं हवा में बाहर निकलीं, जिससे सूर्य
का प्रकाश अवरुद्ध हो गया और प्रकाश-संश्लेषण
की क्रिया रूक गई. अधिकांश बड़े पशु, जिनमें न उड़नेवाले डाइनोसोर भी शामिल हैं, विलुप्त हो गए, ..मध्य युग( मीसोजोइक) समाप्त होगया |
पुनः जल ( महासागर ) में ----
स्तनधारियों का विकास--पैलियोशीन काल में, स्तनधारी जीवों में तेजी से विविधता उत्पन्न हुई, उनके आकार में वृद्धि
हुई और वे प्रभावी कशेरुकी जीव बन गए| प्रारंभिक जीवों का अंतिम आम पूर्वज शायद
इसके 2 मिलियन वर्षों (लगभग 63
Ma में) बाद समाप्त हो गया| कुछ ज़मीनी-स्तनधारी महासागरों में लौटकर गए, जिनसे अंततः डाल्फिनों व ब्लयू-व्हेल का विकास हुआ |
---- चित्र गूगल साभार ...
---- क्रमश भाग-५... मानव का उद्भव व विकास.....
---- चित्र गूगल साभार ...
---- क्रमश भाग-५... मानव का उद्भव व विकास.....