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डा श्याम गुप्त का ब्लोग...

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Lucknow, UP, India
एक चिकित्सक, शल्य-चिकित्सक जो हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान व उसकी संस्कृति-सभ्यता के पुनुरुत्थान व समुत्थान को समर्पित है व हिन्दी एवम हिन्दी साहित्य की शुद्धता, सरलता, जन-सम्प्रेषणीयता के साथ कविता को जन-जन के निकट व जन को कविता के निकट लाने को ध्येयबद्ध है क्योंकि साहित्य ही व्यक्ति, समाज, देश राष्ट्र को तथा मानवता को सही राह दिखाने में समर्थ है, आज विश्व के समस्त द्वन्द्वों का मूल कारण मनुष्य का साहित्य से दूर होजाना ही है.... मेरी तेरह पुस्तकें प्रकाशित हैं... काव्य-दूत,काव्य-मुक्तामृत,;काव्य-निर्झरिणी, सृष्टि ( on creation of earth, life and god),प्रेम-महाकाव्य ,on various forms of love as whole. शूर्पणखा काव्य उपन्यास, इन्द्रधनुष उपन्यास एवं अगीत साहित्य दर्पण (-अगीत विधा का छंद-विधान ), ब्रज बांसुरी ( ब्रज भाषा काव्य संग्रह), कुछ शायरी की बात होजाए ( ग़ज़ल, नज़्म, कतए , रुबाई, शेर का संग्रह), अगीत त्रयी ( अगीत विधा के तीन महारथी ), तुम तुम और तुम ( श्रृगार व प्रेम गीत संग्रह ), ईशोपनिषद का काव्यभावानुवाद .. my blogs-- 1.the world of my thoughts श्याम स्मृति... 2.drsbg.wordpres.com, 3.साहित्य श्याम 4.विजानाति-विजानाति-विज्ञान ५ हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान ६ अगीतायन ७ छिद्रान्वेषी ---फेसबुक -डाश्याम गुप्त

बुधवार, 27 मई 2020

काव्य निर्झरिणी की रचनाएँ ---रचना तीन ----भारत पर्व ---डा श्याम गुप्त

                          ....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...


काव्य निर्झरिणी की रचनाएँ ---रचना तीन ----भारत पर्व ---

मेरा द्वितीय काव्य संग्रह 'काव्यनिर्झरिणी' 1960 से 2005 तक रचित तुकांत काव्य-रचनाओं का संग्रह है |---सुषमा प्रकाशन , आशियाना द्वारा प्रकाशित , प्रकाशन वर्ष -२००५ ..
—नराकास , राजभाषा विभाग, गृहमंत्रालय, उप्र से "राजभाषा सम्मान व पुरस्कार -२००५," प्राप्त













क्रमश रचना चार -----







 

काव्यनिर्झरिणीकी रचनाएँ ----रचना दो ---सत्यं शिवम् सुन्दरम---डा श्याम गुप्त

                ....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ.

काव्यनिर्झरिणीकी रचनाएँ ----रचना दो ---सत्यं शिवम् सुन्दरम

मेरा द्वितीय काव्य संग्रह 'काव्यनिर्झरिणी' 1960 से 2005 तक रचित तुकांत काव्य-रचनाओं का संग्रह है |---सुषमा प्रकाशन , आशियाना द्वारा प्रकाशित , प्रकाशन वर्ष -२००५ ..
—नराकास , राजभाषा विभाग, गृहमंत्रालय, उप्र से "राजभाषा सम्मान व पुरस्कार -२००५," प्राप्त






2..सत्यं शिवम् सुन्दरम

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जो है सत्य वही तो शिव है ,
यदि वह शिव है तो वह प्रिय है |
वह सुन्दर है वही नित्य है,
यदि वह शिव है और सत्य है |

 बिना सत्य के शिवं कहाँ है ,

बिना शिवम् माधुर्य कहाँ है |
चाहे शिव भी हो सुन्दर भी ,
बिना सत्य सौन्दर्य कहाँ है |

सत्य सदा ही शिव होता है,
शिव ही सबको प्रिय होता है |
जो कल्याण करे जन मन का ,
वह ही तो सुन्दर होता है |

सत्य न हो जो कर्म निरंतर ,
तथ्यहीन हो जिसका अंतर |
चाहे वह शिव हो या सुन्दर,
होगा वह सर्वथा असुंदर |

यदि कविता में सत्य नहीं है,
और कथ्य यदि तथ्य नहीं है |
उसमें सत का तत्व नहीं है ,
तो वह कविता कथ्य नहीं है |

यदि कविता में सत्य रहेगा,
उसमें शिव का तत्व रहेगा |
कहलायेगी सुन्दर अनुपम,
होगी सत्यं शिवम् सुन्दरम ||

क्रमश रचना तीन---


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