....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
मेरा द्वितीय काव्य संग्रह 'काव्यनिर्झरिणी' तुकांत काव्य-रचनाओं का संग्रह है |---सुषमा प्रकाशन , आशियाना द्वारा प्रकाशित , प्रकाशन वर्ष -२००५
—नराकास, (नगर राजभाषा क्रियान्वन समिति, लखनऊ ) राजभाषा विभाग, गृहमंत्रालय, उप्र से "राजभाषा सम्मान व पुरस्कार -२००५," प्राप्त---
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काव्यनिर्झरिणी की रचनाएँ ----रचना एक ---वन्दना --
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नव कल्पना मन में जगे ,
नव व्यंजना सुर में सजे |
वाणी कलम को गति मिले,
करदो कृपा माँ शारदे !
कल्पना के पंख पाकर,
इस गगन के पार जाऊं |
तेरी वीणा के स्वरों की,
साधना में शान्ति पाऊँ |
मैं नमन कर गारहा हूँ,
गीत में संगीत भर दो |
छंद रस नव भावना से,
पूर्ण नूतन गीत कर दो |
वन्दना में तेरी ही माँ ,
गीत अर्चन कर रहा हूँ |
तेरे चरणों में ही ये ,
स्वर पुष्प अर्पण कर रहा हूँ |
नव-सृजन के मन्त्र की,
स्वर धार मेरे मन में भरदो |
अपनी वीणा की मधुर सी,
तान की झंकार कर दो |
नव कमल सा मन खिले ,
नव कल्पना स्वर में सजे |
वाणी कलम को गति मिले,
कर दो कृपा माँ शारदे ||