....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
ब्रज
बांसुरी" की रचनाएँ .......डा श्याम गुप्त ...
मेरे शीघ्र प्रकाश्य ब्रजभाषा
काव्य संग्रह ..."
ब्रज बांसुरी " ...की ब्रजभाषा में रचनाएँ
गीत,
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श्याम -सवैया, पंचक सवैया, छप्पय, कुण्डलियाँ, अगीत, नव गीत आदि मेरे
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प्रकाशित की जायंगी ... ....
कृति--- ब्रज बांसुरी ( ब्रज भाषा में विभिन्न काव्यविधाओं की रचनाओं का
संग्रह )
रचयिता ---डा श्याम गुप्त
--- सुषमा गुप्ता
प्रस्तुत है .....भाव अरपन ..सात ..ब्रज भाषा -गज़लें ..सुमन -२ ..काम करेंगे ..
बड़े शौक ते आये यहाँ कछु काम करेंगे,
सेवा करेंगे देश की कछु नाम करेंगे |
गंदी बहुरि है राजनीति या देश की ,
कछु साफ़ सुघरि करेंगे जब काम करेंगे |
काजर की कोठरी है जानत थे हमहू खूब,
इक लीक तौ लगैगी पर नाम करेंगे |
बेरिन ते अपने हम तौ थे खूब हुशियार ,
जानौ न कबहूँ अपुने ही बदनाम करेंगे |
वो संग हूँ चले नहीं अरु खींच लये पाँव,
था भरोसौ कै साथ कदम ताल करेंगे |
सच की ही गैल चलत रहे हम तौ उमरि भर,
बदलें जो गैल अब , का नयौ काम करेंगे |
हर डारि पै या ब्रक्ष की उलूकन के घर बसे,
बदलेंगे ठांव अब का नया धाम करेंगे |
बैठे हैं गिद्ध चील कौवा हर डारि पै,
कूकर हैं भासन देत, गधे गान करेंगे ||