कि -सेक्स, रुपया-लाटरी, जुआ,कन्डोम, केन्सर-कारक गुटखा, विशिष्ट भूमिका वाले पिता का चयन जैसे विग्यापनों से यह कार्य सम्भव हो रहा है? यह कथनी -करनी का फ़र्क हमें कहां लेजारहा है? बच्चे, किशोर,युवा व अनगढ लोग तो यह पढ्कर यही समझेंगे, मानेंगे कि यह तो अच्छी बात ही होगी जो खुले आम ,पत्र्कार विद्वान महोदय परोस रहे हैं। क्या यह सब सिर्फ़ पैसे व धन्धे के लिये नहीं है ?अखवार चलाने के लिये? जब धन्धा ही मुख्य बात है तो फ़िर--पैसे के लिये कपडे उतारतीं हीरोइनें, बलात्कार करते हीरो, वैश्याव्रत्ति करतीं औरतेंव दलाल, जुआ खेलते ,जुआघर चलाते लोग , देश के गुप्त दस्तावेज़ बेचते देश द्रोही ,भीख मांगते लोगों का बुरा क्यों मना जाता है ? वह भी तो उनका धन्धा ही है। उनमें--इनमें क्या फ़र्क?
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डा श्याम गुप्त का ब्लोग...
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- Lucknow, UP, India
- एक चिकित्सक, शल्य-चिकित्सक जो हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान व उसकी संस्कृति-सभ्यता के पुनुरुत्थान व समुत्थान को समर्पित है व हिन्दी एवम हिन्दी साहित्य की शुद्धता, सरलता, जन-सम्प्रेषणीयता के साथ कविता को जन-जन के निकट व जन को कविता के निकट लाने को ध्येयबद्ध है क्योंकि साहित्य ही व्यक्ति, समाज, देश राष्ट्र को तथा मानवता को सही राह दिखाने में समर्थ है, आज विश्व के समस्त द्वन्द्वों का मूल कारण मनुष्य का साहित्य से दूर होजाना ही है.... मेरी तेरह पुस्तकें प्रकाशित हैं... काव्य-दूत,काव्य-मुक्तामृत,;काव्य-निर्झरिणी, सृष्टि ( on creation of earth, life and god),प्रेम-महाकाव्य ,on various forms of love as whole. शूर्पणखा काव्य उपन्यास, इन्द्रधनुष उपन्यास एवं अगीत साहित्य दर्पण (-अगीत विधा का छंद-विधान ), ब्रज बांसुरी ( ब्रज भाषा काव्य संग्रह), कुछ शायरी की बात होजाए ( ग़ज़ल, नज़्म, कतए , रुबाई, शेर का संग्रह), अगीत त्रयी ( अगीत विधा के तीन महारथी ), तुम तुम और तुम ( श्रृगार व प्रेम गीत संग्रह ), ईशोपनिषद का काव्यभावानुवाद .. my blogs-- 1.the world of my thoughts श्याम स्मृति... 2.drsbg.wordpres.com, 3.साहित्य श्याम 4.विजानाति-विजानाति-विज्ञान ५ हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान ६ अगीतायन ७ छिद्रान्वेषी ---फेसबुक -डाश्याम गुप्त
गुरुवार, 18 जून 2009
ये क्या होरहा है, समाचार पत्रों में--कहनी -कथनी फ़र्क.
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