ब्लॉग आर्काइव

डा श्याम गुप्त का ब्लोग...

मेरी फ़ोटो
Lucknow, UP, India
एक चिकित्सक, शल्य-चिकित्सक जो हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान व उसकी संस्कृति-सभ्यता के पुनुरुत्थान व समुत्थान को समर्पित है व हिन्दी एवम हिन्दी साहित्य की शुद्धता, सरलता, जन-सम्प्रेषणीयता के साथ कविता को जन-जन के निकट व जन को कविता के निकट लाने को ध्येयबद्ध है क्योंकि साहित्य ही व्यक्ति, समाज, देश राष्ट्र को तथा मानवता को सही राह दिखाने में समर्थ है, आज विश्व के समस्त द्वन्द्वों का मूल कारण मनुष्य का साहित्य से दूर होजाना ही है.... मेरी तेरह पुस्तकें प्रकाशित हैं... काव्य-दूत,काव्य-मुक्तामृत,;काव्य-निर्झरिणी, सृष्टि ( on creation of earth, life and god),प्रेम-महाकाव्य ,on various forms of love as whole. शूर्पणखा काव्य उपन्यास, इन्द्रधनुष उपन्यास एवं अगीत साहित्य दर्पण (-अगीत विधा का छंद-विधान ), ब्रज बांसुरी ( ब्रज भाषा काव्य संग्रह), कुछ शायरी की बात होजाए ( ग़ज़ल, नज़्म, कतए , रुबाई, शेर का संग्रह), अगीत त्रयी ( अगीत विधा के तीन महारथी ), तुम तुम और तुम ( श्रृगार व प्रेम गीत संग्रह ), ईशोपनिषद का काव्यभावानुवाद .. my blogs-- 1.the world of my thoughts श्याम स्मृति... 2.drsbg.wordpres.com, 3.साहित्य श्याम 4.विजानाति-विजानाति-विज्ञान ५ हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान ६ अगीतायन ७ छिद्रान्वेषी ---फेसबुक -डाश्याम गुप्त

रविवार, 23 मार्च 2014

होली के दृश्य ...रेलगाडी से ..डा श्याम गुप्त.....

                                     ....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...



होली के दृश्य ...रेलगाडी से ..

होली की पर्व मूलतः भारतवर्ष का ऋतु-परिवर्तन, पर्यावरण एवं फसल पकने की आनंद लहर का पर्व है जब हर घर, गाँव, वर्ग, जाति एक होजाते हैं और गाँव गाँव, गली-गली, घर-चौबारे, चौपाल, आँगन-आँगन, छोटे-बड़े, स्त्री-पुरुष, बड़े-बूढ़े सभी एक ही उल्लास व उत्साह, उमंग में खोजाते हैं |

        आवश्यक घटनावश मेरा इस वर्ष की होली का पूरा दिवस रेलगाडी में ही बीता, तो मैंने वहीं से दृष्टिगत होते हुए होली के नज़ारे मोबाइल-कैमरे में कैद करने शुरू कर दिए | आनंद लीजिये.....




मंदिर चौबारे होली

दिबियापुर के निकट होली

खेतों फूली सरसों
रेल लाइन के किनारे होली
पटरी किनारे झुग्गियों में होली
कानपुर बाज़ार में होली की हलचल
झुग्गी-झौंपडियों में भी होली
गंगा किनारे होली
गंगा में नावों पर होली के रंग
गंगाघाट कानपुर -होली की बहार

११ देवर फिर गए गयी जेठ के संग ...फूली-अरहर