....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
होली के दृश्य ...रेलगाडी से ..
होली की पर्व मूलतः भारतवर्ष का
ऋतु-परिवर्तन, पर्यावरण एवं फसल पकने की आनंद लहर का पर्व है जब हर घर, गाँव,
वर्ग, जाति एक होजाते हैं और गाँव गाँव, गली-गली, घर-चौबारे, चौपाल, आँगन-आँगन, छोटे-बड़े,
स्त्री-पुरुष, बड़े-बूढ़े सभी एक ही उल्लास व उत्साह, उमंग में खोजाते हैं |
आवश्यक घटनावश मेरा इस वर्ष की होली का
पूरा दिवस रेलगाडी में ही बीता, तो मैंने वहीं से दृष्टिगत होते हुए होली के नज़ारे
मोबाइल-कैमरे में कैद करने शुरू कर दिए | आनंद लीजिये.....
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मंदिर चौबारे होली |
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दिबियापुर के निकट होली |
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खेतों फूली सरसों |
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रेल लाइन के किनारे होली |
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पटरी किनारे झुग्गियों में होली |
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कानपुर बाज़ार में होली की हलचल |
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झुग्गी-झौंपडियों में भी होली |
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गंगा किनारे होली |
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गंगा में नावों पर होली के रंग |
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गंगाघाट कानपुर -होली की बहार |
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११ देवर फिर गए गयी जेठ के संग ...फूली-अरहर
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