....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
कर्म
यदि आप चाहते हैं कि---
मृत्यु के उपरांत
शीघ्र ही संसार आपको भूल न जाय----
तो
पढने योग्य श्रेष्ठ रचनाओं की सृष्टि करें ...
या
वर्णन-योग्य श्रेष्ठ कर्म करें...