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डा श्याम गुप्त का ब्लोग...

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Lucknow, UP, India
एक चिकित्सक, शल्य-चिकित्सक जो हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान व उसकी संस्कृति-सभ्यता के पुनुरुत्थान व समुत्थान को समर्पित है व हिन्दी एवम हिन्दी साहित्य की शुद्धता, सरलता, जन-सम्प्रेषणीयता के साथ कविता को जन-जन के निकट व जन को कविता के निकट लाने को ध्येयबद्ध है क्योंकि साहित्य ही व्यक्ति, समाज, देश राष्ट्र को तथा मानवता को सही राह दिखाने में समर्थ है, आज विश्व के समस्त द्वन्द्वों का मूल कारण मनुष्य का साहित्य से दूर होजाना ही है.... मेरी तेरह पुस्तकें प्रकाशित हैं... काव्य-दूत,काव्य-मुक्तामृत,;काव्य-निर्झरिणी, सृष्टि ( on creation of earth, life and god),प्रेम-महाकाव्य ,on various forms of love as whole. शूर्पणखा काव्य उपन्यास, इन्द्रधनुष उपन्यास एवं अगीत साहित्य दर्पण (-अगीत विधा का छंद-विधान ), ब्रज बांसुरी ( ब्रज भाषा काव्य संग्रह), कुछ शायरी की बात होजाए ( ग़ज़ल, नज़्म, कतए , रुबाई, शेर का संग्रह), अगीत त्रयी ( अगीत विधा के तीन महारथी ), तुम तुम और तुम ( श्रृगार व प्रेम गीत संग्रह ), ईशोपनिषद का काव्यभावानुवाद .. my blogs-- 1.the world of my thoughts श्याम स्मृति... 2.drsbg.wordpres.com, 3.साहित्य श्याम 4.विजानाति-विजानाति-विज्ञान ५ हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान ६ अगीतायन ७ छिद्रान्वेषी ---फेसबुक -डाश्याम गुप्त

मंगलवार, 25 अक्तूबर 2016

गागर में सागर पुस्तक मेले का शुभ समापन – डा रंगनाथ मिश्र को मेला संयोजक श्री देवराज अरोरा ने अपना गुरु घोषित किया- डा श्याम गुप्त

                        ....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...

*****गागर में सागर पुस्तक मेले का शुभ समापन – डा रंगनाथ मिश्र को मेला संयोजक श्री देवराज अरोरा ने अपना गुरु घोषित किया ----

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------- दि.२३-१०-16 रविवार को मोती महल मैदान में चलने वाले पुस्तक मेले- ‘गागर में सागर’ के समापन समारोह के उल्लासमय क्षणों में, लखनऊ व देशभर के साहित्यकार समाज के गौरवान्वित होने का एक सुखानुभूत पल तब उपस्थित हुआ जब श्रीमती विद्याबिन्दू सिंह, श्री महेंन्द्र भीष्म, श्रीमती अरोरा आदि गण्यमान्य साहित्यकार एवं विद्वानों व समाज सेवकों से सजे मंच तथा उपस्थित तमाम विद्वानों, साहित्यकारों की उपस्थिति में साहित्य जगत के कवि कुलगुरु, अगीत कविता विधा के संस्थापक, संघात्मक समीक्षा-पद्धति व संतुलित कहानी के जनक, अखिल भारतीय अगीत परिषद् के अध्यक्ष साहित्यमूर्ति डा रंगनाथ मिश्र सत्य साहित्यभूषण, जिनको गुरुजी के नाम से साहित्यजगत में जाना जाता है और जिनके अगणित शिष्य देश के कोने कोने में विद्यमान हैं, मेला संयोजक श्री देवराज अरोरा ने मंच से अभिनन्दन करते हुए अपना ‘गुरु’ मानने की उद्घोषणा की |
Drshyam Gupta's photo.
---------समारोह की प्रतिष्ठा में उस समय और श्रीवृद्धि हुई जब इस पावन क्षण में ‘गागर में सागर’ सारतत्व वाक्य को चरितार्थ करते हुए श्री देवराज अरोरा ने सभी की उपस्थिति में सामाजिक सरोकारों को प्रश्रय देते हुए आज एवं अभी से स्वयं पान मसाला, गुटखा आदि के सेवन न करने का संकल्प किया एवं अन्य सभी से इस बुराई को प्रश्रय न देने का आह्वान किया |
-------समस्त कवि व साहित्यकार समाज की ओर से हम श्री देवराज अरोरा को इस भावना एवं शुभ कृतित्व के लिए बधाई देते हुए आभार प्रकट करते हैं|


----मेले के कुछ बिंदु --
चित्र१.-नव सृजन की काव्यगोष्ठी --मंच पर श्री देवराज अरोरा, डा रंगनाथ मिश्र व डा श्याम गुप्त ....चित्र-२. टेकचंद प्रेमी के संतुलित कहानियों का संग्रह'कालदंड ' का लोकार्पण ---श्री टेक चंद प्रेमी, डा श्याम गुप्त, डा रंगनाथ मिश्र सत्य , श्री देवराज अरोरा व कुमार तरल ...

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