....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
बहारों की लहर डोली कि आज होली है ।
रंग उडाती घूमे टोली कि आज होली है ।
रंग बिखराए थे सब और ही फिजाओं ने,
फगुनाई पवन बोली कि आज होली है ।
ढोलक की थाप पर थिरकते थे सभी लोग,
भीगे तन-मन लगी रोली कि आज होली है ।
उड़ता था हवाओं में अबीर-गुलाल का नशा ,
सकुचाये कसी चोली कि आज होली है ।
बौराई सी घूमे वो नयी नवेली दुल्हन,
घर भर को चढी ठिठोली कि आज होली है ।,
ख्यालों में उनके हम तो खोये थे इस कदर,
कानों खबर न डोली कि आज होली है ।
चुपके से बोले, आज तो रंग लीजिये हुज़ूर,
मिसरी सी कानों घोली कि आज होली है ।
इतरा मल दिया जब मुख पर गुलाल श्याम,
तन मन खिली रंगोली कि आज होली है ।। ----- चित्र-गूगल साभार --