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डा श्याम गुप्त का ब्लोग...

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Lucknow, UP, India
एक चिकित्सक, शल्य-चिकित्सक जो हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान व उसकी संस्कृति-सभ्यता के पुनुरुत्थान व समुत्थान को समर्पित है व हिन्दी एवम हिन्दी साहित्य की शुद्धता, सरलता, जन-सम्प्रेषणीयता के साथ कविता को जन-जन के निकट व जन को कविता के निकट लाने को ध्येयबद्ध है क्योंकि साहित्य ही व्यक्ति, समाज, देश राष्ट्र को तथा मानवता को सही राह दिखाने में समर्थ है, आज विश्व के समस्त द्वन्द्वों का मूल कारण मनुष्य का साहित्य से दूर होजाना ही है.... मेरी तेरह पुस्तकें प्रकाशित हैं... काव्य-दूत,काव्य-मुक्तामृत,;काव्य-निर्झरिणी, सृष्टि ( on creation of earth, life and god),प्रेम-महाकाव्य ,on various forms of love as whole. शूर्पणखा काव्य उपन्यास, इन्द्रधनुष उपन्यास एवं अगीत साहित्य दर्पण (-अगीत विधा का छंद-विधान ), ब्रज बांसुरी ( ब्रज भाषा काव्य संग्रह), कुछ शायरी की बात होजाए ( ग़ज़ल, नज़्म, कतए , रुबाई, शेर का संग्रह), अगीत त्रयी ( अगीत विधा के तीन महारथी ), तुम तुम और तुम ( श्रृगार व प्रेम गीत संग्रह ), ईशोपनिषद का काव्यभावानुवाद .. my blogs-- 1.the world of my thoughts श्याम स्मृति... 2.drsbg.wordpres.com, 3.साहित्य श्याम 4.विजानाति-विजानाति-विज्ञान ५ हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान ६ अगीतायन ७ छिद्रान्वेषी ---फेसबुक -डाश्याम गुप्त

बुधवार, 26 मई 2010

"अभी कालित्रा -यहशब्द आप ने कभी सुना था क्या. .हिन्दी में ..

....... ..... .......... .......... ................... ........... चित्र १......... चित्र २.....>






हिन्दी हिन्दुस्तान पत्र हिन्दी का या अंग्रेज़ी का..


.--- क्या आपने इस हिन्दी भाषा को कभी पढ़ा , लिखा या सुना या प्रयोग किया है जो चित्र में दी गयी है। यह हिन्दी अखवार काप्रचार है....
----आज कल आप शहर में बड़े बड़े पोस्टरों पर भी एक नया शब्द "" अभीकालित्रा "" देख रहे होंगे। हिन्दी - हिन्दुस्तान समाचार पत्र में इसका अर्थ कम्प्युटर की हिन्दी कहा जारहा है , क्या आपने कभी सुना किसी को यह शब्द प्रयोग करते ? वस्तुतः यह हिन्दी हिन्दुस्तान की अंग्रेज़ी भाषा को सिखाने के लिए एक मुहिम ( चित्र २। )है, जो हिन्दी भाषा एक कठिन भाषा है जैसी हिन्दी की बुराइयां समझाकर किया जारहा है। अर्थात हिन्दी विरोध व अंग्रेज़ी प्रसार का एक नया तरीका | क्या हम इसे हिन्दी के विरुद्ध एक षडयंत्र कहें | जिस तरह से काफी पहले भी इस तरह की भाषा का प्रचार करके किया गया था।