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डा श्याम गुप्त का ब्लोग...

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Lucknow, UP, India
एक चिकित्सक, शल्य-चिकित्सक जो हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान व उसकी संस्कृति-सभ्यता के पुनुरुत्थान व समुत्थान को समर्पित है व हिन्दी एवम हिन्दी साहित्य की शुद्धता, सरलता, जन-सम्प्रेषणीयता के साथ कविता को जन-जन के निकट व जन को कविता के निकट लाने को ध्येयबद्ध है क्योंकि साहित्य ही व्यक्ति, समाज, देश राष्ट्र को तथा मानवता को सही राह दिखाने में समर्थ है, आज विश्व के समस्त द्वन्द्वों का मूल कारण मनुष्य का साहित्य से दूर होजाना ही है.... मेरी तेरह पुस्तकें प्रकाशित हैं... काव्य-दूत,काव्य-मुक्तामृत,;काव्य-निर्झरिणी, सृष्टि ( on creation of earth, life and god),प्रेम-महाकाव्य ,on various forms of love as whole. शूर्पणखा काव्य उपन्यास, इन्द्रधनुष उपन्यास एवं अगीत साहित्य दर्पण (-अगीत विधा का छंद-विधान ), ब्रज बांसुरी ( ब्रज भाषा काव्य संग्रह), कुछ शायरी की बात होजाए ( ग़ज़ल, नज़्म, कतए , रुबाई, शेर का संग्रह), अगीत त्रयी ( अगीत विधा के तीन महारथी ), तुम तुम और तुम ( श्रृगार व प्रेम गीत संग्रह ), ईशोपनिषद का काव्यभावानुवाद .. my blogs-- 1.the world of my thoughts श्याम स्मृति... 2.drsbg.wordpres.com, 3.साहित्य श्याम 4.विजानाति-विजानाति-विज्ञान ५ हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान ६ अगीतायन ७ छिद्रान्वेषी ---फेसबुक -डाश्याम गुप्त

शनिवार, 13 सितंबर 2014

नयी शिक्षा नीति ....डा श्याम गुप्त ...

                           ....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...



                            नयी शिक्षा नीति

              शिक्षक दिवस पर शिक्षामंत्री स्मृति ईरानी द्वारा नयी शिक्षा नीति लागू करने की घोषणा स्वागत योग्य कदम है | परन्तु सरकार को ध्यान रखना होगा कि पिछले १०-१५ वर्षों से जो पश्चिमी अन्धानुकरण के हामी राजनीतिज्ञों व तथाकथित शैक्षिक विद्वानों द्वारा देश में प्रचालित, संचालित व प्रचारित “ रोज़गार परक शिक्षा “ ...जो विशेषज्ञ, प्रोफेशनल संस्थाओं का कार्य है, स्कूलों, कालेजों, विश्व-विद्यालयों का नहीं ....की अपेक्षा वास्तविक शिक्षा को लाना होगा | साथ ही बच्चों व छात्रों के लिए तात्कालिक लुभावनी व लाभकारी लगने वाली पाश्चात्य-परक योजनाओं को बंद करना होगा ... यथा छात्रों को परीक्षाओं में श्रेणियां देकर अगली कक्षा में प्रवेश दे देना, अनुत्तीर्ण करने की अपेक्षा | स्कूल व विद्यालय वास्तविक अर्थ में विद्या, शिक्षा प्रदान करें जो बच्चों व छात्रों को मानवता, मानव-आचरण, सदाचार, सत्यनिष्ठा, धर्म-चिंतन, समाज-संस्कृति के प्रति संवेदनशीलता, भारतीयता, देशभक्ति आदि गुण प्रदान करें नकि सिर्फ कुशल कारीगर व विशेषज्ञ परन्तु भ्रष्ट व बेईमान व्यक्ति बनाएं |