....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
क्या हर बात के लिए नेहरू ही ज़िम्मेदार हैं ----
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आजकल प्रायः इस बात पर विपक्षी आलोचना करते हैं कि क्या हर बात के लिए नेहरू ही ज़िम्मेदार हैं ----
-------हाँ, यदि किसी कालखंड में मानव आचरण , संस्कृति व उस समाज -राष्ट्र का मूल धर्माचरण गिरता है देश-..पतन को प्राप्त होता है एवं आसुरी वृत्तियों का वर्धन होता है , तो उस कालखंड के प्रारम्भ कर्ता एवं नायक ही दोषी माने जायंगे |
--- सभी पंथ एक ही बात कहते हैं कि सब धर्म एक ही है और एक ही बातें कहते हैं, क्योंकि ईश्वर एक ही है -----परन्तु ..
---यदि किसी समाज धर्म संस्कृति में ईश्वर के साथ साथ मानव की बात व व्यवहारिकता नहीं है तो वह मानवीय नहीं है सत्य नहीं है ,
जैसा ईशोपनिषद कहता है ---विध्यान्चाविध्या यस्तद वेदोभय सह .....विद्या -अविद्या ...ज्ञान और संसार को साथ साथ जानना चाहिए |
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अर्थात बात व्यवहार व तौर तरीकों की है जिस पर देश, राष्ट व संस्कृति की प्रगति आधारित है ---
---एक व्यक्ति १० वर्ष तक देश का सर्वेसर्वा रहता है परन्तु देश वहीं का वहीं रहता है , दुनिया उसकी कोइ महत्त्व स्थापित नहीं होता , पिछलग्गू रहता है ..
---वहीं एक व्यक्ति के काल में एक या दो वर्षों में ही वही देश विश्व में अग्रणी पंक्ति में जा खडा होता है ---
----यही तो ज्ञान, कर्म , तौर तरीके व व्यवहारिता की बात है | यदि नेहरू के स्थान पर पटेल प्रधानमंत्री होते तो निश्चय ही देश में 70 वर्ष पहले ही मोदी राज आजाता |